सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल बने बिगन सिंह, 30 सालों से रख रहे रोजा; वजह पूछने पर कही ये बात
बिगन बताते हैं कि रोजा रखने से उन्हें अपार शांति की अनुभूति होती है. रोजा रखने के साथ ही वे हिंदुओं के पर्व भी बड़े धूमधाम से मनाते हैं. बिगन का मानना है कि ईश्वर एक है और सब उसी की संतान हैं.
औरंगाबाद: मौजूदा समय में भी समाज में कुछ लोग ऐसे हैं, जो जातीय भेदभाव भूलकर सामाजिक सौहार्द की मिसाल पेश कर रहे हैं. बिहार के औरंगाबाद जिले के नवीनगर प्रखंड के टंडवा निवासी बिगन सिंह चंद्रवंशी (43) इन्हीं कुछ लोगों में से एक हैं. मिली जानकारी के अनुसार वे पिछले 30 सालों से हिन्दू होते हुए भी रमजान में रोजा रखते हैं. इसकी शुरुआत उन्होंने 1991 में की थी.
समाज को एक डोर में बांधने की आवश्यकता
बिगन बताते हैं कि रोजा रखने से उन्हें अपार शांति की अनुभूति होती है. रोजा रखने के साथ ही वे हिंदुओं के पर्व भी बड़े धूमधाम से मनाते हैं. उन्होंने बताया कि आज सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ते हुए समाज को फिर से एक डोर में बांधने की आवश्यकता है. इस कार्य में उनकी पत्नी सहित पूरा परिवार सहयोग करता है. इससे पहले वो कोलकाता में रहते थे. वहीं, उन्हें ये एहसास हुआ कि ईश्वर के साथ अल्लाह की भी पूजा की जानी चाहिए.
आस-पास के लोगों ने किया विरोध
इसके बाद उन्होंने एक तरह भोलेनाथ की आराधना की, तो दूसरे तरफ अल्लाह की इबादत भी की. बिगन की मानें रोजा रखने पर आस-पास के लोगों ने उनका विरोध भी किया और रोजा ना रखने की सलाह दी. लेकिन उन्होंने उनकी बातों पर ध्यान नहीं दिया. बिगन का मानना है कि ईश्वर एक है और हम सब उसी की संतान हैं. ऐसे में लोगों को यह बात समझनी चाहिए कि जब हम सब एक ही ईश्वर की संतान हैं, तो फिर आपस में इतना मतभेद क्यों?
इधर, बिगन की पत्नी रेखा देवी ने बताया कि उनके पति पिछले 30 सालों से रोजा रख रहे हैं. वो आवश्यकतानुसार उनकी मदद करती हैं. उनके लिए यह खुशी की बात है कि उनके पति दो धर्मों के बीच आपसी सौहार्द और भाईचारा को बढ़ावा दे रहे हैं.
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