बिहार: पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह के सियासी सफर पर एक नजर
लंबे समय से पार्टी से नाराज चल रहे आरजेडी के कद्दावर नेता रघुवंश प्रसाद सिंह ने हाल ही में आरजेडी से इस्तीफा देने का ऐलान किया था. लालू यादव ने उन्हें मनाने की कोशिश भी की थी.
नई दिल्ली: राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह का दिल्ली के एम्स में निधन हो गया. वो कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए थे हालांकि बाद में वो ठीक भी हो गए थे. वह वेंटिलेटर पर थे. 2004 में केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री रहते हुए मनरेगा जैसी योजना को लागू कराने में उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी. लोगों के बीच वह रघुवंश बाबू के नाम से जाने जाते थे.
रघुवंश प्रसाद सिंह ने किया था आऱजेडी से इस्तीफा देने का एलान रघुवंश प्रसाद सिंह ने आऱजेडी से इस्तीफा देने का एलान किया था. रघुवंश प्रसाद सिंह लालू प्रसाद यादव के करीबी माने जाते थे. पार्टी से इस्तीफा देने का ऐलान करने के बाद आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव ने उन्हें मनाने की कोशिश की थी और चिट्ठी भी लिखी थी. चारा घोटाले के कई मामलों में सजा काट रहे लालू यादव ने अपनी चिट्ठी में कहा था कि जब आप ठीक हो जाएंगे तो हम लोग बात करेंगे. आप कहीं नहीं जा रहे हैं.
लालू यादव ने जताया शोक रघुवंश प्रसाद सिंह के निधन पर लालू यादव ने दुख जताते हुए कहा, "प्रिय रघुवंश बाबू! ये आपने क्या किया? मैनें परसों ही आपसे कहा था आप कहीं नहीं जा रहे हैं, लेकिन आप इतनी दूर चले गए. नि:शब्द हूं. दुःखी हूँ. बहुत याद आएंगे.
रघुवंश प्रसाद सिंह का जन्म 6 जून 1946 को बिहार के शाहपुर गांव में हुआ था. रघुवंश प्रसाद ने गणित में एमएससी और पीएचडी की डिग्रियां ली थीं. वो कर्पूरी ठाकुर से बहुत प्रभावित थे. उनकी पत्नी नाम किरन सिंह है और उनके तीन बच्चे हैं. जिनमें दो बेटे और एक बेटी है.
रघुवंश प्रसाद सिंह आऱजेडी के कद्दावर नेता ही नहीं बड़े स्तम्भ के रूप में जाने जाते थे.
सियासी सफर पर एक नजर
1973 में वे संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के सचिव बनाए गए. 1977 से 1979 तक उन्होंने बिहार सरकार में ऊर्जा मंत्री का पद संभाला. 1977 से 1990 तक वह बिहार विधानसभा के सदस्य रहे. 1980 में उन्हें लोकदल का अध्यक्ष बनाया गया. 1996 में पहली बार वह वैशाली से 11 वीं लोकसभा का सदस्य बने और संसद पहुंचे. 1996 से 1997 के बीच उन्हें केंद्रीय पशुपालन और डेयरी उद्योग राज्यमंत्री भी रहे. 2004 से 2009 तक वह केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री के पद पर भी रहे. 2009 तक वैशाली सीट से ही लोकसभा चुनावों में जीत दर्ज की.
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