Sexual Abuse Accused Arrested In Begusarai: बेगूसराय में बीते तेरह साल से अपने पुत्र को पिता का नाम दिलाने की लंबी लड़ाई लड़ने वाली एक मुख बाधिर कुंवारी मां की संघर्ष की कहानी किसी रील लाइफ नहीं बल्कि रियल लाइफ की वो दास्तान है, जिसने अपने दम पर अत्याचार के सामने झुकने के बजाए आरोपी को सलाखों के पीछे पहुंचा कर ही दम लिया. आरोपी बुधवार (05 मई) को गिरफ्तार हो गया. इस कहानी में एक मुख बाधिर लड़की को उसके एक दबंग मालिक ने अपनी हवस का शिकार बनाया और जब वो गर्भवती हो गई तो उसका जबरन गर्भपात भी कराने की कोशिश की.
न्याय के लिए दर-दर की ठोकर खाती रही लड़की
हद तो तब हो गई जब इस मामले में केस के आईओ ने पैसे के दम पर आरोपी को बरी कर दिया. बावजूद इसके महिला ने हार नहीं मानी और न्याय के लिए दर-दर की ठोकर खाती रही. वहीं आरोपी तेरह सालों तक पैसे के बल पर कानून की आंख में धूल झोकता रहा. इस मामले में 13 साल पहले आरोपी ने मुख बाधित लड़की को उस वक्त अपनी हवस का शिकार बनाया जब वह उसके यहां नौकरानी का काम करने जाती थी.
घटना के बाद तमाम तरह के ताने बाने को सुनने के बाद इस लड़की ने कुंवारी मां बनकर इस लड़ाई को जारी रखा. आज तेरह वर्ष बाद आरोपी पुलिस की सलाखों के पीछे है, तो महिला को उसके पुत्र के पिता का नाम मिलने की उम्मीद जिंदा हुई है. पूरा मामला बेगूसराय के पबड़ा गांव 2013 का है. मंझोल थाना के पबड़ा गांव में एक विधवा महिला अपने परिवार के साथ रहती थी और गांव में ही रहकर अपना जीवकोपर्जन करती थी.
इस महिला की एक बेटी थी, जो गूंगी थी. वो गांव के ही स्व० किर्ति सिंह के पुत्र नरेश सिंह के घर में घरेलू काम किया करती थी. जिसका फायदा नरेश सिंह ने उठाया और उसके साथ योन शोषण शुरु कर दिया. जिसके बाद वो गर्वभती हो गई. गर्वभती होने के बाद पीड़िता की मां न्याय के लिए दर-दर की ठोकरे खाने लगी. मगर हर जगह उसे नाकामी ही मिली. इसके बाद पीड़िता की मां ने वरीय पुलिस अधिकारी से गुहार लगाई तो चेरियाबरियारपुर (मंझोल)थाना में 111/13 में भारतीय दंड विधान के धारा 376,313,511,201एवं 34 में मामला दर्ज हुआ. मगर आरोपी अपने पैसा और पहुंच के बल पर भागता रहा, लेकिन बीते बुधवार 05 मई को मंझोल थानाध्यक्ष रिशा कुमारी ने उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया.
गर्भपात कराने का हुआ प्रयास
साल 2013 में जब पीड़िता गवभती हो गई तो आरोपी नरेश सिंह ने गर्भपात कराने का प्रयास किया. मगर पीड़िता की मां ने उसी वक्त पुलिस को सूचना दी और पुलिस ने छापेमारी कर गर्भपात करा रहे एक झोलाछाप डाक्टर को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया, लेकिन मुख्य आरोपी वहां से फरार हो गया. उसके बाद दिव्यांग लड़की ने एक पुत्र को जन्म दिया.
जन्म देने के बाद उसको पिता का दिलाने के लिए गुहार लगाती रही और तत्कालीन डीएसपी और एसपी ने घटना को सत्य पाते हुए उसे गिरफ्तार करने का आदेश जारी कर दिया. आरोपी अपने पहुंच पर उस गिरफ्तारी को डीआईजी से रोक लगवा लिया और डीएनए जांच के लिए आदेश को भी रूकवा लिया. तब ये मामला ठंडा बस्ते में चला गया. करीब 9 साल तक यह केस पेंडिंग रहा.
चार्जशीट के बाद केस में नया मोड़
तत्कालीन थानाध्यक्ष ने जब चार्जशीट में आरोपी को केस से बरी करते हुए न्यायलय में दाखिल किया तो फिर केस में एक नया मोड़ आ गया. उक्त केस में पीड़िता की मां की ओर से अधिवक्ता प्रिंस राहुल ने दमदार बहस की और केस डायरी में ही बहुत सारे सबूतों को साबित करते हुए न्याय की मांग की. जिस पर माननीय न्यायलय ने भी गंभीरता पुर्वक चार्जशीट के विरुद्ध मुख्य आरोपी नरेश सिंह के खिलाफ सम्मन जारी किया. फिर भी आरोपी न्यायलय के समक्ष हाजिर नहीं हुआ और न्यायलय के आदेश की अवहेलना की.
न्यायलय ने मुख्य आरोपी को आदेश दिया था कि हाजिर होकर अपना पक्ष रखे, मगर पहुंच और पैसे के बल पर न्यायलय के आदेश को भी नहीं माना, जिसके बाद कोर्ट ने वेलेबल वारंट जारी कर दिया. इसके बाद भी वो न्यायलय के आदेश को धत्ता बताते हए गायब रहा. फिर न्यायलय ने नरेश सिंह के खिलाफ ननवेलेबल वारंट जारी कर दिया और थानाध्यक्ष को गिरफ्तारी का आदेश दिया. इसके बाद मंझोल थानाध्यक्ष रीशा कुमारी ने उसे बीते बुधवार को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया.
मासूम को है पिता के नाम का इंतजार
करीब ग्यारह साल पहले जिस दिव्यांग लड़की का यौन शोषण किया गया और उसे गर्भवती कर दिया गया. बाद में उसी दिव्यांग ने एक पुत्र को जन्म दिया. उस पुत्र को पिता का नाम दिलाने के लिए पीड़िता और उसकी मां करीब 13 साल न्याय के लिए दर दर भटकते रहने के लिए मजबूर रही. अब उसे न्याय की उम्मीद जगी है और अपने पुत्र के पिता की उम्मीद जगी है.
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