पटना: बिहार में नई सरकार का गठन होने के बाद विधानसभा अध्यक्ष पद को लेकर कशमकश जारी है. एनडीए की ओर से बीजेपी के वरिष्ठ नेता नेता और चौथी बार चुनकर आए पूर्व मंत्री विजय कुमार सिन्हा और महागठबंधन की ओर से राजद के विधायक अवध विहारी चौधरी इस पद के लिए दावेदार हैं. इस बार बिहार विधान सभा में 51 साल बाद इस पद के लिए ऐसा अवसर आया है जब पक्ष और विपक्ष के बीच टकराव की स्थिति हो गई है. सत्ता पक्ष की ओर से बीजेपी नेता विजय सिन्हा तो और महागठबंधन से अवध बिहारी चौधरी ने मंगलवार को पद की दावेदारी के लिए नामांकन किया और इसके बाद मतदान की नौबत आ पड़ी है. आज (बुधवार) प्रोटेम स्पीकर जीतन राम मांझी की मौजूदगी में विधान सभा अध्यक्ष के लिए मतदान कराया जाएगा.



51 साल पहले हुआ था चुनाव




बिहार विधान सभा में इससे पहले 1969 में विधान सभा अध्यक्ष पद को लेकर ऐसी हीं स्थिति आई थी. तब धनिक लाल मंडल और रामनारायण मंडल के बीच इस पद को लेकर चुनाव हुआ था जिसमें रामनारायण मंडल चुनाव जीतकर अध्यक्ष बने थे.1969 में सत्ता पक्ष ने रामनारायण मंडल को स्पीकर पद का दावेदार बनाया था जबकि विपक्ष की ओर से रामदेव प्रसाद दावेदार थे. 323 सदस्यीय विधानसभा में 151 वोट से रामनारायण मंडल जीते थे तो धनिक लाल मंडल को 128 वोट मिले थे.



आज सदन में होगी ये कार्रवाई



विधान सभा सत्र के तीसरे दिन आज सबसे पहले जिन विधायकों ने शपथ नही ली है उनका शपथ ग्रहण होगा. उनके शपथ के बाद अध्यक्ष के चुनाव प्रक्रिया शुरू होगी. प्रोटेम स्पीकर सर्व सहमति बनाने की कोशिश करेंगे सदस्यों से हां और ना के पक्ष में मत पर सवाल करेंगे.
पक्ष और विपक्ष के प्रत्याशियों का नाम लेकर सदस्यों से उनका अभिमत जानना चाहेंगे. प्रोटेम स्पीकर ध्वनिमत के आधार पर फैसला ले सकते हैं विपक्ष ने विरोध कर दिया तब वैसी स्थिति में वोट डिवीजन जरूरी होगा
स्पीकर के प्रस्ताव पर अगर दूसरी तरफ से विरोध नहीं किया गया तो मान लिया जाएगा कि अध्यक्ष चुनने के लिए सभी सदस्य राजी हैं. लेकिन विपक्ष की तैयारियों को देखते हुए ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि वोटिंग की स्थिति आनी तय है