बिहार: ‘तबेले’ में तब्दील हुआ APHC, अस्पताल में पशु बांधते हैं ग्रामीण, सालों से नदारद हैं डॉक्टर
इस संबंध में प्रभारी सिविल सर्जन डॉ. मीणा कुमारी ने कहा कि उन्हें अस्पताल के ऐसे हालात के बारे में जानकारी नहीं है. कोरोना के चलते व्यस्तता है. मरीजों की संख्या कम होते ही मामले में तुरंत संज्ञान लिया जाएगा. पूरे मामले की जांच कराई जाएगी.
कैमूर: तस्वीर में दिख रहे भवन को गौर से देखिए, ये कोई गोशाला या तबेला नहीं है. ये जनता की गाढ़ी कमाई से सरकार द्वारा बनाया गया अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र है. बिहार के कैमूर जिले के कबार गांव में 30 साल पहले बनाया गया ये एपीएचसी तबेले में तब्दील हो गया है. यहां डॉक्टर मरीजों के इलाज नहीं करते, ग्रामीण गाय, भैंसे, बकरी और सुअर बांधते हैं. वहीं, अस्पताल के कमरों में उपला और जानवरों को खिलाले वाला चारा रखा जाता है.
अस्पताल में कभी नहीं आए डॉक्टर
ग्रामीणों की मानें तो बीते 30 साल से परिस्थिति ऐसी ही है. सालों पहले जब गांव में अस्पताल बनाया गया था, तब ग्रामीणों को ये उम्मीद थी कि अब उन्हें इलाज के लिए भभुआ नहीं जाना पड़ेगा. लेकिन वे इंतजार ही करते रह गए. अस्पताल में ना कभी डॉक्टर आए और ना कभी किसी का इलाज हुआ. इस बीच गांव में एक और अस्पताल बनाया गया, जहां डॉक्टर कभी कभार आते हैं. सप्ताह में एक बार टीकाकरण के लिए एएनएम आती हैं.
इस संबंध में कबार गांव के विकास मित्र ने बताया कि 30 साल पहले कबार गांव में अस्पताल बना था. लेकिन वो आज तक शुरू नहीं हुआ. ऐसे में जिला परिषद ने अपने फंड से एक और भवन का निर्माण कराया, लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने आज तक वहां भी स्वास्थ्य सेवा शुरू करने की पहल नहीं की. कई बार अधिकारियों को सूचना दी गई, पर कोई कार्रवाई नहीं हुई.
प्रभारी सीएस ने कही जांच की बात
वहीं, जब इस संबंध में प्रभारी सिविल सर्जन डॉ. मीणा कुमारी से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उन्हें अस्पताल के ऐसे हालात के बारे में जानकारी नहीं है. कोरोना के चलते व्यस्तता है. मरीजों की संख्या कम होते ही तुरंत संज्ञान लिया जाएगा. पूरे मामले की जांच कराई जाएगी.
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