Bihar News: "न ये चांद होगा न तारे रहेंगे, मगर हम हमेशा तुम्हारे रहेंगे" गीत के लफ्ज अक्सर हमारी जुबान पर रहते हैं. लेकिन शायद ही कोई अब इस गाने के लेखक शम्शुल हुदा बिहारी (Shamsul Huda Bihari) को याद करता होगा. जीवन की सच्चाई को शब्द का रुप देने वाले गीतकार एस एच बिहारी अब भुला दिए गए हैं. हममें से शायद ही कोई जानता हो की उनका तालुक बिहार (Bihar) के आरा (Arrah) जिले से था.
कैसे शुरु किया करिअर
60 से 70 के दशक के बीच एस एच बिहारी के लिख गीत आज भी जिंदा हैं. उनका जन्म बिहार के आरा जिले में 1922 में हुआ था. उन्होंने कोलकता (Kolkata) के प्रेसीडेंसी कॉलेज स्नातक स्तर की शिक्षा लेने के बाद सिनेमा को अपना करियर बनाया. हालांकि गीतकार होने के साथ उन्होंने फुटबॉल (football) खेलने का भी शौक था. एक बार वे मोहन बागान (Mohan Bagan) की टीम से भी जुड़े थे. लेकिन 1947 के बाद वे बंबई (मुंबई) गए. 1950 में आई फिल्म 'दिलरूबा' में उन्होंने अपना पहला गीत लिखा. इस फिल्म में उन्होंने 'हटो-हटो जी आते हैं हम' गीत दिया था. यहां से उनके फिल्मी करिअर का आगाज तो हुआ लेकिन उनको पहचान इस गीत ने नहीं दिलाई. इसके बाद उन्होंने निर्दोष, बेदर्दी, खूबसूरत और रंगीला जैसी फिल्मों की गीत लिखे.
कौन से लिखे गीत
1954 में एस एच बिहारी फिल्म शर्त का एक गीत लिखा "न ये चांद होगा न तारे रहेंगे, मगर हम हमेशा तुम्हारे रहेंगे". इस गाने की हर इंसान की जुबान पर अपना रंग दिखाया. यहीं से उन्हें एक पहचान मिली. इसके बाद 60 के दशक में उनकी मुलाकात ओपी नैयर हुई. इसी दौरान "ये चांद सा रोशन चेहरा, ज़ुल्फ़ों का रंग सुनहरा", "कजरा मुहब्बत वाला, अंखियों में ऐसा डाला" जैसे कई बेहतरीन गीतों के जरिए वे फिल्म जगत में छा गए. इसके अलावा उन्होंने "जरा हौले-हौले चलो मेरे साजना", "आओ हुजूर तुमको सितारों में ले चलूं", "आ, आ गले लग जा" जैसे गीतों को लिखा.
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