पटना: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिहार के सीएम नीतीश कुमार के साथ नज़र आ रहे हैं. तो सड़क के दूसरी तरफ़ वाले पोस्टर में वे चिराग पासवान के साथ बैठे हैं. राह चलते लोग हैरान हैं... आख़िर ये खेल है क्या !! बिहार का वोटर नर्वस है. उसकी समझ में कुछ नहीं आ रहा है. आख़िर प्रधानमंत्री किसके साइड हैं. नीतीश कुमार और चिराग पासवान दोनों एनडीए में हैं. जेडीयू कहती है हमारा गठबंधन तो बीजेपी से है, एलजेपी से नहीं. एलजेपी कह रही है हमारा रिश्ता तो बस बीजेपी से है. चिराग और नीतीश दोनों को मोदी का साथ पसंद है.
बिहार में एनडीए का सबसे बड़ा धर्मसंकट यही है. एक तरफ़ नीतीश कुमार तो दूसरी तरफ़ चिराग पासवान. चिराग के पिता रामविलास पासवान अस्पताल में हैं. उनका ऑपरेशन हुआ है. इलाज चल रहा है. अब लौटते हैं असली पेंच पर. चिराग ने जेडीयू के ख़िलाफ़ हर सीट पर चुनाव लड़ने का एलान कर दिया है. गठबंधन का धर्म यही कहता है कि पीएम मोदी जेडीयू के लिए भी प्रचार करेंगे. उनके लिए वोट मांगेंगे. ऐसे में जेडीयू के ख़िलाफ़ चुनाव लड़ने वाली लोक जन शक्ति पार्टी पर उनका क्या स्टैंड रहेगा. पिछले कुछ दिनों से चिराग ने नीतीश सरकार के ख़िलाफ़ हल्ला बोल रखा है. कोरोना से निपटने में गड़बड़ी को लेकर वे कई बार सीएम को चिट्ठी लिख चुके हैं. नीतीश के सात निश्चय को वे लालू यादव वाला एजेंडा बता चुके हैं. नीतीश के ख़िलाफ़ चिराग फ़ुल फार्म में हैं. आर पार की लड़ाई की तैयारी में हैं.
सबसे बड़ा मामला तो मोदी किसके साथ वाला है
पीएम नरेन्द्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह से लेकर बीजेपी अध्यक्ष जे पी नड्डा तक, सब कह चुके हैं कि एनडीए बिहार में चुनाव नीतीश कुमार के नेतृत्व में लड़ रही है. वही हमारे मुख्यमंत्री के चेहरे हैं. लेकिन एनडीए के दूसरे साथी चिराग को नीतीश का चेहरा पसंद नहीं है. उन्हें तो बस मोदी पसंद हैं. वे पीएम को ही अपना नेता मानते हैं. वे बीजेपी की अगुवाई में सरकार बनाना चाहते हैं. जबकि बीजेपी का वादा नीतीश के नेतृत्व में सरकार बनाने को है.
सवाल बिहार के वोटरों का है. उन वोटरों का जो नरेन्द्र मोदी के समर्थक हैं. वे किसके साथ जायें. बीजेपी ने मामला और उलझा दिया है. कुछ कहते हैं कि चिराग के गेम के पीछे बीजेपी का दिमाग़ है. जेडीयू के कुछ नेताओं में ये चर्चा तेज है. नीतीश बता चुके हैं कि बीजेपी के कहने पर ही जीतनराम मांझी को साथ लिया. मामला दलित वोट का भी है. पर सबसे बड़ा मामला तो मोदी किसके साथ वाला है. बीजेपी को ये सस्पेंस ख़त्म करना होगा. वरना मोदी समर्थक वोटों का बंटवारा हो सकता है. कहीं ऐसा न हो कि न माया मिले न राम. ऐसा तो हो नहीं सकता कि बीजेपी दो नाव की सवारी कर ले. इस तरह की सवारी नैया डुबो देती है. बीजेपी को ये तय करना ही होगा कि मोदी पोस्टर पर नीतीश के साथ रहें या फिर चिराग के.
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