'दरवाजा खुला है', क्या बिहार में बदलने वाली है सियासत? लालू यादव के बयान के मायने समझें
Bihar Politics: आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने बड़ा बयान देकर बिहार की राजनीति में हलचल मचा दिया. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार महागठबंधन में आते हैं तो उनके लिए दरवाजा खुला है.
Bihar Assembly Election 2025: राजनीति में कब कौन किस ओर करवट ले लेगा यह कहना मुश्किल होता है. खासकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की बात की जाए तो उनका फैसला अचानक होता है और वह किस वक्त कौन सा फैसला ले लेंगे, यह कहना मुश्किल है. अभी यह चर्चा जोरों पर चल रही है कि नीतीश कुमार एनडीए से 'नाराज' चल रहे हैं. दिल्ली दौरे पर बीजेपी के बड़े नेताओं से उनकी मुलाकात नहीं हुई.
इस बीच नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने पहले ही कहा है कि नीतीश कुमार के लिए दरवाजा बंद है. लेकिन आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने एक बड़ा बयान देकर बिहार की राजनीति में हलचल मचा दिया. उन्होंने कहा, ''नीतीश कुमार महागठबंधन में आते हैं तो उनके लिए दरवाजे खुले हैं. हम माफ कर देंगे. माफ करना ही हमारा फर्ज है.''
क्या फिर लालू और नीतीश के बीच पक रही खिचड़ी?
अब नए साल की शुरुआत में लालू यादव के इस बयान के क्या मायने हो सकते हैं, यह हर कोई जानना चाह रहा है. क्योंकि इसी साल बिहार में विधानसभा के चुनाव होने हैं. सवाल ये भी है कि क्या एक बार नीतीश कुमार फिर पाला बदल सकते हैं. क्या एक बार फिर लालू और नीतीश के बीच खिचड़ी पकने लगी है?
जनवरी महीना शुरू हो चुका है और इसी महीने में मकर संक्रांति का त्यौहार आता है जो 14 जनवरी को मनाया जाता है. बिहार की राजनीति के लिए यह खास दिन होता है क्योंकि इस दिन सभी पार्टी के नेता चूड़ा-दही का भोज करते हैं. इसे 'सियासत भोज' भी लोग अब कहने लगे हैं. क्योंकि इस भोज के बाद कई बार ऐसा देखा गया है कि बिहार की सियासत में उलटफेर हुआ.
क्या मकर संक्रांति के बाद गरमाएगी बिहार की राजनीति?
तो क्या इस बार भी मकर संक्रांति के बाद बिहार की राजनीति गरमाने वाली है. क्योंकि 2024 में नीतीश कुमार ने मकर संक्रांति के बाद बड़ा फैसला था और जनवरी महीने में ही महागठबंधन से नाता तोड़कर एनडीए में शामिल हो गए थे. 28 जनवरी को एनडीए में शामिल होकर नौंवी बार मुख्यमंत्री पद का शपथ ली थी. एनडीए का हिस्सा बनकर 2024 का लोकसभा चुनाव लड़े थे. इस साल नवंबर महीने में बिहार विधानसभा के चुनाव होने हैं.
लालू यादव के बयान के क्या हैं मायने?
इस पर राजनीतिक विशेषज्ञ और वरिष्ठ पत्रकार संतोष कुमार ने कहा, ''लालू प्रसाद का बयान कोई चौंकाने वाला नहीं है. लालू हमेशा नीतीश कुमार के पक्षधर रहे हैं. चाहे जीतन राम मांझी को हटाकर नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनाने की बात या 2022 में जब ऐसी चर्चा हुई कि नीतीश कुमार की पार्टी को बीजेपी तोड़ रही है, उस वक्त भी लालू प्रसाद उनके साथ खड़े हुए. लेकिन अब फिर नीतीश कुमार महागठबंधन में शामिल हो सकते हैं, यह कहना अभी मुश्किल होगा क्योंकि अभी जो बड़ी वर्तमान स्थिति में नीतीश कुमार चल रहे हैं वह बुजुर्ग वाली स्थिति में आ गए हैं.''
उन्होंने आगे कहा, ''उनके साथ जो 'नवरत्न' लोग हैं वह सभी के सभी बीजेपी सपोर्टिंग माइंडेड वाले लोग हैं. निश्चित तौर पर जब घर का गार्जियन बूढ़ा हो जाता है तो बच्चों की बात मानता है. ऐसे में अभी ये दिख नहीं रहे हैं कि नीतीश कुमार पाला बदल लेंगे लेकिन अभी चुनाव में वक्त है और नीतीश खुद निर्णय लेने में माहिर हैं. इसलिए आगे क्या होगा यह नहीं कहा जा सकता है लेकिन वर्तमान में ऐसा दिख नहीं रहा है.''
जेडीयू और बीजेपी ने लालू यादव पर बोला हमला
हालांकि, लालू प्रसाद यादव के दरवाजा खोलने वाले बयान पर जेडीयू और बीजेपी दोनों ने एक सुर में आरजेडी प्रमुख पर हमला बोलते हुए तंज कसा है. जेडीयू प्रवक्ता अरविंद निषाद ने कहा, ''लालू अपने सुपुत्रों को राजनीतिक रूप से सेट करने के लिए लगता है कि कुछ ज्यादा ही व्याकुल हैं. व्याकुलता में इस तरह के बयान दे रहे हैं, जैसे लगता है कि जेडीयू उनके दरवाजे पर आवेदन लेकर खड़ी है.''
उन्होंने आगे कहा कि लालू जी आप इस तरह से बचकाना बयान नहीं दें तो ज्यादा बढ़िया है. हमारे नेता नीतीश कुमार के नेतृत्व में आगामी विधानसभा चुनाव 2025 में प्रचंड बहुमत के साथ जनता दल यूनाइटेड, बीजेपी और एनडीए गठबंधन जीत हासिल करेगी.
वहीं बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता प्रभाकर मिश्रा ने तंज कसते हुए कहा, ''लालू प्रसाद यादव अधिक उम्र और अस्वस्थता के कारण आजकल बिना मतलब की बात ज्यादा करते हैं. एनडीए घटक दल का कोई भी नेता उनके दरवाजे पर प्रवेश नहीं करने वाला है, वह अपना दरवाजा खुला रखें या बंद रखें यह उनकी मर्जी है. लालू प्रसाद यादव जी अगर अपना दरवाजा खुला रखेंगे तो उनके विधायक और नेता बाहर निकल जाएंगे. दरअसल वह स्मृतिलोप यानी यादाश्त खराब हो जाने के शिकार हो गए हैं.''
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