पटना: वीआरएस लेने के बाद बुधवार को बिहार के पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय पहली बार मीडिया से मुखातिब हुए. इस दौरान उन्होंने कहा कि मैंने स्वैच्छिक सेवा निवृति ले ली है. ये मेरा अधिकार है. दो महीने से मेरा जीना मुश्किल हो गया था. हर रोज मेरे इस्तीफे को लेकर फोन आ रहे थे. मीडिया में लोग खबर चला रहे थे. इसलिए मैंने सभी चर्चाओं पर विराम लग दिया.


मैंने सभी के लिए किया काम


उन्होंने कहा, " मैंने 34 साल की सेवा अवधि पूरी की है. इस अवधि में किसी भी दल का कोई नेता या पार्टी मुझ पर पूर्वाग्रह का आरोप लगा दे तो यह गलत है. आज तक किसी ने मेरी निष्पक्षता पर उंगली नहीं उठाई है. मैने सभी का काम किया है, किसी अपराधी के साथ कोई समझौता नहीं किया. सब पर कहर बन कर टूटा हूं. 50 से अधिक मुठभेड़ देखे और सुलझाए हैं मैंने. कोई नहीं कह सकता मैंने किसी निर्दोष के साथ कुछ गलत किया हो.


कई लोग मुझे कर रहे हैं ट्रोल


गुप्तेश्वर पांडेय ने कहा, " कई लोग मुझे ट्रॉल कर रहे हैं. मेरे वीआरएस को सुशांत से जोड़ कर देख रहे हैं. लेकिन मेरे वीआरएस से सुशांत मामले का कोई लेना देना नहीं है. मैंने सुशांत के निराश और हताश पिता की मदद की. मेरी सीबीआई जांच के अनुसंशा पर भी सवाल उठे, जो सुप्रीम कोर्ट ने सही ठहरा दिया. हमने हंगामा तब किया जब हमारे पुलिस के साथ गलत हुआ. मैने सुशांत के इन्साफ के लिये लड़ाई लड़ी."


आज की तिथि में मैं डीजीपी नहीं


उन्होंने कहा, " लोग कह रहे हैं कि मैने सुशांत के मामले को उठाया ताकि मैं राजनीति चमका सकूं. यह बात बिल्कुल गलत है." हालांकि जब उसने चुनाव संबंधी सवाल पूछे गए तो उन्होंने कहा कि मैं अब स्वतंत्र नागरिक हूं, आज की तिथि में मैं डीजीपी नहीं हूं. लाखों लोग मेरे पास आ रहे हैं. मैं उनसे बात करूंगा उसके बाद फैसला लूंगा तब कुछ कहूंगा. मैंने फिलहाल कोई पोलिटिकल पार्टी जॉइन नहीं किया है. बक्सर से चुनाव लड़ने के संबंध में उन्होंने कहा, " बक्सर, बेगूसराय, बगहा हर जगह से लोग मेरे पास आ रहे हैं."


जो फैसला लूंगा मैं खुद बता दूंगा


इस दौरान उन्होंने कहा, " मैं किसान का बेटा हूं, मेरे 4 पुस्त में कोई स्कूल नहीं गया. 8 साल की उम्र में मैं दूसरे गांव पैदल स्कूल जाता था. गांव में कुछ नहीं था. मैंने जीवन में केवल संघर्ष किया है. पहली पोस्टिंग में शोषित वर्ग के लोग के घर जाता था, वहां गरीबी देखी. उसके बाद मैंने समाज के उत्थान के लिए काम किया. शोध कर लीजिए इस मुद्दे पर. पुलिस के पास कुछ नहीं हुआ करता था लेकिन मेरी दबिश के कारण अपराधियों ने सरेंडर किया. मैंने अपने कार्यकाल में बहुत काम किया उस वक्त मुझे कौन सा चुनाव लड़ना था ? घटनास्थल पर मेरे जाने के साथ ही स्थिति सामान्य हो जाती थी. मैं अपनी तारीफ नहीं कर रहा यह लोगों का प्यार है. मुझसे वो कनेक्ट करते हैं."


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