Aurangabad Youth Success In IFS: किसी ने सही कहा है कि प्रतिभा किसी सहयोग की मोहताज नहीं होती. औरंगाबाद के एक लाल को खामोशी से मिली सफलता ने सही मायने शोर मचा दिया है. उसकी मेहनत ने रंग दिखाया और वो भारतीय प्रशासनिक सेवा के इंडियन फॉरेस्ट सर्विस की परीक्षा में दसवां स्थान लाकर कामयाब हो गया. औरंगाबाद के शशांक भारद्वाज ने देश में बिहार का नाम रोशन किया है.
आईएफएस की परीक्षा में लाए दसवां स्थान
शशांक भारद्वाज औरंगाबाद के गोह प्रखंड के एक छोटे से गांव डड़वा एवं शहर के करमा रोड आदर्श नगर निवासी बैधनाथ प्रसाद द्विवेदी उर्फ दुबे जी के छोटा बेटे हैं. शशांक जो कभी औरंगाबाद के सांस्कृतिक आयोजनों की शोभा हुआ करता थे और लोग उनके नृत्य के दीवाने थे. उन्होंने ना सिर्फ देश के चर्चित रियलिटी शो में बूगी वूगी बू में अपनी नृत्य कौशल का जलवा बिखेरा बल्कि अपनी लगन, मेहनत और दृढ़ निश्चयता से आईएफएस की परीक्षा में दसवां स्थान प्राप्त कर अपनी सफलता का परचम लहराया है.
शशांक भारद्वाज ने इस सफलता से आज के युवाओं को यह संदेश देने की कोशिश की है कि अगर ठान लो तो कोई भी कार्य मुश्किल नहीं होता है. शशांक बचपन से ही मेधावी छात्र रहे. उन्होंने औरंगाबाद डीएवी पब्लिक स्कूल से अपनी प्रारंभिक शिक्षा की शुरुआत की. उसके बाद उन्होंने केंद्रीय विद्यालय कोलकाता से दसवीं और बारहवीं कक्षा में अव्वल अंक हासिल किया. उसके बाद उन्होंने BITS पिलानी से केमिकल इंजीनियरिंग में भी डिस्टिंक्शन अंक लाकर परीक्षा उत्तीर्ण की.
बूगी वूगी बू में भी लहराया था परचम
शशांक न सिर्फ पढ़ाई बल्कि बचपन से ही डांस में भी काफी रुचि रखते थे और नाट्य, नृत्य एवं ललित कला के लिए देश की प्रतिष्ठित संस्थान संस्कार भारती संस्था से जुड़कर अपने नृत्य और नाट्य कला को औरंगाबाद के टाउन हॉल से लेकर सोनी टीवी के प्रसिद्ध रियलिटी शो बूगी वूगी बू में भी अपना परचम लहराया है.
उनकी माता श्रीमती उषा द्विवेदी का कहना है कि शशांक का यह रिजल्ट सिर्फ कुछ दिन की मेहनत नहीं, बल्कि उनका रैंक उनके संघर्ष और दैनिक अनुशासन की एक लंबी कहानी है. परिणाम सुनते ही खुशी के आंसू से आंख भर आए और सबसे पहले भगवान को उसकी इस सफलता पर नमन कर उनसे उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की.
माता पिता को आदर्श मानते हैं शशांक
शशांक के पिता बैजनाथ प्रसाद द्विवेदी जो सेन्ट्रल बैंक ऑफ इंडिया में अधिकारी के पद पर कार्यरत हैं, उन्होंने भी हर कदम पर सदैव ढाल बन कर खड़े रहे. उनकी प्रेरणादायक बोली और एक पिता का भरोसा ही है जो शशांक को कभी न हार मानने का जज्बा और हौसला दिया है. शशांक ने भी अपना आदर्श अपने मां पिता को माना है और अपनी सफलता उन्हें समर्पित की है.
शशांक के बड़े भाई स्वप्नेश IT MNC में कार्यरत हैं. बड़े भाई ने भी हर कदम पर उसका साथ दिया और हौसले को पंख प्रदान करने में सहायक बने. शशांक के यूपीएससी परीक्षा में सफलता की साथी कोई और नहीं बल्कि उनकी बड़ी बहन सुष्मिता भारद्वाज रही हैं. सुष्मिता ने जब 65 वीं बीपीएससी परीक्षा पास कर बिहार शिक्षा सेवा में चयनित हुई तो यह शशांक के लिए एक प्रेरणादायक मिसाल बनकर उभरी. आज सुष्मिता शिक्षा विभाग में जिला कार्यक्रम पदाधिकारी के पद पर जहानाबाद में कार्यरत हैं.
बहन सुष्मिता की पढ़ाई में मदद
शशांक ने अपनी बहन सुष्मिता के साथ रह कर पढ़ाई की. दोनो भाई बहन साथ मिल कर पढ़ाई करते रहे. वही ऑफिस के कार्यभार संभालते हुए सुष्मिता भी यूपीएससी का दो बार प्रारंभिक उत्तीर्ण कर मुख्य परीक्षा दी. चाहे पढ़ाई हो, नृत्य हो या खेल कूद शशांक भारद्वाज बचपन से ही हर मैदान में लगातार खुद को सिद्ध करते आए हैं.
शंशाक के बड़े भाई स्वप्नेश और उनकी भाभी पूजा का कहना है कि यूपीएससी दुनिया की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक है, इसलिए मंजिल तक पहुंचने में कभी-कभी वक्त लगता है, लेकिन सकारात्मक सोच रखते हुए परिश्रम करने से व्यक्ति सफलता के लक्ष्य को प्राप्त कर अपनी पहचान बना लेता है और शशांक ने भी ऐसा ही किया.
ये भी पढ़ेंः Elections 2024: आज थम जाएगा चौथे फेज का चुनाव प्रचार, 13 मई को इन दिग्गज नेताओं के भाग्य का होगा फैसला