Aurangabad News: बिहार के औरंगाबाद में एक मुस्लिम शख्स ने हिंदू के शव का रीति-रिवाज के साथ अंतिम संस्कार कराकर मिसाल पेश की है. हर तरफ इसकी चर्चा हो रही है. रविवार (19 मई) की रात औरंगाबाद सदर अस्पताल में एक व्यक्ति का शव पड़ा था. शव के पास उसकी पत्नी रो रही थी. पत्नी की इच्छा थी कि वह गया में ले जाकर अपने पति का अंतिम संस्कार कर पाए लेकिन इतने पैसे नहीं थे कि वह आखिरी इच्छा पूरी कर सके.
मृत व्यक्ति की पहचान पटना जिले के मोकामा-बख्तियारपुर निवासी बैकुंठ साव के रूप में की गई. पत्नी रीता देवी ने बताया कि उसके पति गंभीर बीमारी से ग्रसित थे. इलाज से जब कोई फायदा नहीं हुआ तो वह अपने पति को लेकर रफीगंज सिहुली दरगाह पर पिछले कुछ दिनों से इलाज करा रही थी लेकिन अब पति की मौत हो गई. उसे चिंता सता रही थी कि अब उनका अंतिम संस्कार कैसे होगा क्योंकि उसका कोई बेटा नहीं है. एक बेटी है जो दिल्ली में रहती है. कहा कि जितने पैसे थे सब पति के इलाज में खर्च हो गए. उसने गहने तक बेच दिए थे.
...और इस तरह पेश की गई मिसाल
उधर महिला की स्थिति की जानकारी जैस ही समाजसेवी और हिंदू-मुस्लिम एकता को बनाए रखने के प्रति निस्वार्थ भाव से समर्पित शहर के पठान टोली निवासी शाहनवाज रहमान उर्फ सल्लू खान को लगी तो वे मदद के लिए पहुंच गए. वह सदर अस्पताल पहुंचे. महिला से मदद के बारे में पूछा. महिला ने बताया कि उनके पति की इच्छा थी कि उनका अंतिम संस्कार गया के विष्णुपद में कराया जाए, लेकिन वह सामर्थ्य नहीं है. सल्लू खान ने महिला को सांत्वना देकर विष्णुपद शमशान घाट प्रबंध समिति से बात की और उनसे अंतिम संस्कार कराने का आग्रह किया.
हिंदू रीति-रिवाज के साथ अंतिम संस्कार के लिए जो खर्च लगने थे उसका सल्लू ने ऑनलाइन पेमेंट कर दिया. आर्थिक मदद की व्यवस्था कराकर अन्य लोगों के सहयोग से बैकुंठ साव के शव को एंबुलेंस से विष्णुपद पहुंचवाया. सल्लू खान के इस काम की खूब चर्चा हो रही है.
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