पटना : पिछले दो सालों से जिस बालिका गृह को लेकर बिहार में नीतीश कुमार के सरकार सबसे ज्यादा फजीहत झेलती रही, अब सरकार की कोशिश उन्हीं बालिका गृह में रह रही बच्चियों को नई जिंदगी और नई पहचान देने की है. दरअसल बच्चियों के शोषण को लेकर बालिका गृह कांड में जिस तरह सरकारी महकमा कटघरे में खड़ा हुआ था अब नीतीश सरकारी उसी बालिका गृह की बच्चियों को शिक्षित कर नजीर पेश करने की कोशिश में जुट गई है.
इसी दिशा में पहल करते हुए राज्य के बालिका गृह में रहने वाली 14 लड़कियों को सरकार होटल मैनेजमेंट के लिए बेंगलुरु भेज रही है. इन लड़कियों को बेंगलुरु स्टेट ई सी एच ओ सेंटर ऑफ जुवेनाइल जस्टिस के अंतर्गत यूरो इंडियन एकेडमी में होटल मैनेजमेंट में 1 साल के डिप्लोमा के लिए भेजा जा रहा है. इस कोर्स के माध्यम से यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया गया है कि बालिकाओं की शत-प्रतिशत प्लेसमेंट मिल सके.
बालिकाओं की राज्यस्तरीय एक टीम के साथ आज (29 दिसंबर) हवाई मार्ग से बेंगलुरु भेजा गया है.इस कोर्स में आने वाले सभी खर्च लगभग 14 लाख की राशि का वहन राज्य सरकार करेगी. विभाग का मानना है कि बालिका इस कोर्स को लेकर काफी उत्साहित हैं बालिकाओं में सशक्तिकरण की दिशा में यह एक बेहतरीन प्रयास है.
बालिकाओं के कौशल विकास के लिए लिया गया निर्णय
समाज कल्याण मंत्री डॉ अशोक चौधरी की माने तो इस कार्यक्रम का उद्देश्य विधि विवादित बच्चों के संदर्भ में बाल संरक्षण के क्षेत्र में कार्यरत कर्मियों की बाल संरक्षण विषय पर बेहतर समझ विकसित करने और बच्चों के सर्वोत्तम हित के लिए यह कदम उठाए गए हैं. उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र राज्य में सरकारी बालिकाओं के लिए ऐसे कोर्स में शामिल होना काफी सराहनीय और प्रेरक रही थी इसी अनुभव के आधार पर बिहार ने भी यह कवायद शुरू की है.
18 वर्ष के बाद बच्चों को समाज की मुख्यधारा में शामिल करने के लिए आफ्टर केयर कार्यक्रम के तहत राज्य के विभिन्न बालिका गृह में आवासीय बच्चियों के लिए यह प्रयास शुरू किया गया है. गत वर्ष यूनिसेफ के सहयोग से राज्य के 9 मंडलों में 36 बाल संरक्षण कर्मियोंको बिहार एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत बेंगलुरु भ्रमण के लिए भेजा गया था. जिसके बाद वहां की विस्तृत जानकारी के आधार पर इन बालिकाओं को आज प्रशिक्षण के लिए विभाग ने रवाना किया.