Ban On Visiting Of Sheetal Waterfall: बिहार का कश्मीर कहे जाने वाला नवादा जिले के गोविंदपुर प्रखंड के ऐतिहासिक शीतल जलप्रपात में जाने पर वन विभाग के आदेशानुसार बैरियर लगा दिया गया है. जिससे यहां दूर दराज से पहुंचने वाले सैलानियों को मायूस होकर लौटना पड़ रहा है. कोरोना काल से ही यहां प्रवेश पर रोक लगी है.
सौंदर्यीकरण कार्य के चलते लगी है रोक
गौरतलब है कि ककोलत में गर्मी के दिनों में बड़ी संख्या में सैलानी स्नान करने पहुंचते हैं. नवादा जिला के साथ ही दूसरे अन्य जिलों और राज्यों से सैलानी यहां पहुंचते हैं. समय-समय पर विदेशी सैलानी भी यहां पहुंच कर लुत्फ उठाते हैं, लेकिन सौंदर्यीकरण कार्य के चलते ककोलत जलप्रपात में प्रवेश पर रोक लगी है. फिलहाल तीसरे चरण के तहत यहां काम हो रहा है. कोरोना काल से ही यहां प्रवेश पर रोक लगी है. फिर सौंदर्यीकरण कार्य शुरू कर दिया गया तो प्रवेश पर रोक की अवधि बढ़ती चली गई.
जलप्रपात से निराश लौट रहे सैलानी
भीषण गर्मी के बावजूद सैलानियों को शीतल जलप्रपात का लुत्फ उठाने से महरुम होना पड़ रहा है. ऐसी भी बात नहीं है कि अघोषित रुप से बंद रहने के बावजूद स्थानीय लोगों को प्रवेश नहीं दिया जा रहा है. स्थानीय लोगों को नौ बजे सुबह तक स्नान करने की छूट है, लेकिन अगर कोई स्कूली छात्र- छात्राओं का वाहन या फिर सपरिवार बाहर से आ जाय तो वन कर्मियों का तेवर देखते ही बनता है. वे सैलानियों पर लाठियां चटकाने तक से भी नहीं चूकते हैं.
स्थानीय लोगों का कहना है कि "बाहर से आने वाले सैलानियों को निराश होकर वापस लौटने को विवश होना पड़ रहा है. ऐसे में वे स्नान से वंचित तो हो ही रहे हैं उन्हें आर्थिक और मानसिक परेशानी का सामना भी करना पड़ रहा है. बीते रविवार को पटना से कुछ लोग ककोलत शीतल जलप्रपात का लुत्फ उठाने आए तो वन कर्मियों ने जाने से मना कर दिया."
राज्य अल्पसंख्यक आयोग तक पहुंचा मामला
ये मामला राज्य अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य अफरोज खातुन तक पहुंचा. उन्होंने बताया कि "हमारे कुछ सगे संबंधी ककोलत जलप्रपात स्नान करने आए थे, तो उन्हें जाने नहीं दिया गया. मेरे संबंधियों के सामने कुछ सैलानियों से नाजायज राशि लेकर उन्हें स्नान करने दिया जा रहा था. हमने डीएम से बात कर पूरे मामले से उन्हें अवगत कराया है.
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