बिहार: MLC मनोनयन से बीजेपी-जेडीयू ने साधे जातीय समीकरण, NDA में उभरे विरोध के स्वर
बीजेपी और जेडीयू ने छह-छह सीटें आपस में बांट ली. इससे हम और वीआईपी दोनों दलों में नाराजगी है. जेडीयू में भी नाराजगी दिखाई दी है.
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पटना: बिहार विधान परिषद के राज्यपाल के कोटे के 12 सदस्यों के मनोनयन से एनडीए में शामिल प्रमुख दल बीजेपी और जनता दल (युनाइटेड) ने सामाजिक समीकरण दुरूस्त करने की भले ही कोशिश की हो, लेकिन एनडीए में शामिल घटक दलों की नाराजगी भी खुलकर सामने आ गई है. एनडीए में शमिल विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) ने इस पर नाराजगी का इजहार करते हुए इंसाफ की मांग की है. दोनों दलों का कहना है कि मनोनयन के पहले गठबंधन में शामिल दलों की राय भी नहीं मांगी गई.
बिहार में राज्यपाल कोटे की 12 सीटों के लिए मनोनयन के पहले ही हम और वीआईपी ने एक-एक सीटों की मांग की थी, लेकिन जब मनोनयन का समय आया तो बीजेपी और जेडीयू ने छह-छह सीटें आपस में बांट ली. इससे दोनों दलों में नाराजगी है. वीआईपी के प्रवक्ता राजीव मिश्रा ने विधान पार्षद (एमएलसी) के मनोनयन पर कहा कि गठबंधन धर्म का पालन नहीं किया गया. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुकेश सहनी ने विधानसभा चुनाव के वक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा था कि नोनिया समाज से हम एक एमएलसी बनाएंगे. उन्होंने नाराजगी जताते हुए कहा वीआईपी से राय लेनी चाहिए थी.
मांझी ने कहा कि उन्हें निराशा हुई
इधर, 'हम' के अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने कहा कि उन्हें निराशा हुई है. उन्होंने कहा, "जो भी 12 विधानपरिषद के सदस्यों का मनोनयन हुआ है उसमें अच्छा होता कि सभी घटक दलों के नेताओं को बुलाकर सलाह ले लिया जाता. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. कहीं न कहीं चूक हुई है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से ऐसी उम्मीद नहीं थी." मांझी ने हालांकि यह भी कहा कि नीतीश कुमार इन सभी बातों को लेकर चलते हैं, लेकिन इस मामले में ऐसा क्यों हुआ आश्चर्य की बात है.
बहरहाल, 'हम' और वीआईपी की ओर से सलाह नहीं लेने पर नाराजगी जरूर जताई गई है, लेकिन अभी तक कोई तीखी प्रतिक्रिया नहीं आई है. इधर, जेडीयू और बीजेपी ने मनोनीत सदस्यों के जरिए सामाजिक समीकरण दुरूस्त करने की कोशिश की है. जेडीयू ने कुछ दिन पहले ही पार्टी में आए उपेंद्र कुशवाहा को उच्च सदन भेजकर लव-कुश समीकरण को दुरूस्त करने की कोशिश की है. जेडीयू ने कुशवाहा के अलावे मंत्री अशोक चौधरी, संजय सिंह, रामवचन राय, संजय गांधी और ललन सर्राफ को विधान परिषद का सदस्य बनाया है. इस तरह देखें तो जेडीयू ने जहां राजपूत को उच्च सदन भेजकर सवर्ण मतदाताओं को खुश करने की कोशिश की है वहीं तीन पिछड़ा वर्ग से आने वाले नेताओं को भी विधान परिषद पहुंचाया है.
जेडीयू में भी नाराजगी दिखाई दी
जेडीयू में भी हालांकि नाराजगी दिखाई दी है. जेडीयू के प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा कि विधान परिषद के सदस्यों के चयन के फैसले से आहत हूं. उन्होंने कहा कि कायस्थ जाति को कोई स्थान नहीं दिया गया. इधर, बीजेपी ने जनक राम, राजेंद्र गुप्ता, देवेश कुमार, घनश्याम ठाकुर, प्रमोद कुमार और निवेदिता सिंह को विधान परिषद भेजकर अपने वोटबैंक को दुरूस्त करने की कोशिश की है.
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