सीतामढ़ी: बिहार के सीतामढ़ी जिला के सदर अस्पताल के आलावा सभी सीएचसी और पीएचसी के उपलब्ध चिकित्सा सेवा पूरी तरह बदहाल है. जबतक मौजूदा सिविल सर्जन को हटाकर किसी योग्य और गंभीर सीएस को नहीं भेजा जाता, तबतक स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार संभव नहीं है. यह कहना है जिले के परिहार की विधायक गायत्री देवी का. सरकारी अस्पतालों की व्यवस्था की पोल खोलने वाली ये कोई और नहीं, बल्कि सत्ता में शामिल दल बीजेपी की विधायक है.


बीजेपी विधायक ने अस्पतालों में दिन पर दिन बदहाल होती जा रही चिकित्सा सेवा के बारे के स्वास्थ्य मंत्री को पत्र लिखा है. पत्र से एक ओर जहां स्थानीय स्वास्थ्य विभाग में बेचैनी बढ़ गई है, वहीं, सत्ताधारी दल के लोग कुछ असहज महसूस कर रहे है.


मुख्यालय में नहीं रहते हैं डॉक्टर


पत्र में विधायक ने लिखा है कि सदर अस्पताल समेत अन्य अस्पतालों में कार्यरत डॉक्टर मुख्यालय में नहीं रहते हैं. वे दूर-दराज से आते हैं, जिस कारण वे समय पर अस्पताल नहीं पहुंच पाते हैं. वे रोस्टर ड्यूटी के अनुरूप मरीजों को समुचित चिकित्सा सेवा उपलब्ध नहीं करा पाते हैं.


बीजेपी विधायक ने लिखा है कि सीएचसी और पीएचसी से रेफर होकर मरीज सदर अस्पताल आते हैं. यहां इलाज करने के बजाए डॉक्टर मरीज को पीएमसीएच या एसकेएमसीएच रेफर कर देते हैं. एक तरह से यहां का सरकारी अस्पताल पोस्ट ऑफिस की तरह हो गया है.


कॉल रिसीव नहीं करते हैं सीएस


बीजेपी विधायक का आरोप है कि सिविल सर्जन कार्यालय में नहीं बैठते हैं. वे सरकारी आवास से ही काम करते हैं. मोबाइल पर जनता और जनप्रतिनिधि का कॉल भी रिसीव नहीं करते. इसके जनता की समस्याओं के निष्पादन में कठिनाई होती है.


विधायक गायत्री देवी को यह खबर मिली है कि सदर अस्पताल या जिले के अन्य अस्पतालों से मरीजों को जख्म प्रतिवेदन, मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट और पोस्टमार्टम रिपोर्ट महीनों बाद मिल पाता है. ऐसे में उन्होंने मंत्री से सीएस को हटाते के साथ ही जिले की चिकित्सा व्यवस्था में सुधार लाने के लिए ठोंस कदम उठाने का आग्रह किया है.