पटना: बिहार में विधानसभा चुनाव में एनडीए में सबसे बड़े दल के रूप में उभरी बीजेपी नए तेवर और नए कलेवर के साथ राज्य की सबसे बड़ी पार्टी आरजेडी को उसी के घर में घेरने की कोशिश में जुटी है. बीजेपी, आरजेडी के परंपरागत वोट बैंक मुस्लिम, यादव (एमवाई) समीकरण में सेंध लगाने के जुगाड़ में है. बीजेपी के नेता हालांकि इस रणनीति को खुले तौर पर स्वीकार नहीं करते, लेकिन हाल में बीजेपी रणनीतिकारों द्वारा लिए गए फैसले इसकी पुष्टि जरूर करते हैं.


बिहार में बीजेपी के सांसद नित्यानंद राय को केंद्रीय मंत्री के रूप में जिम्मेदारी देकर बिहार प्रभारी की जिम्मेदारी भूपेंद्र यादव को दे दी गई. इसके बाद राज्य के सीमांचल में पहचान बनाने वाले शाहनवाज हुसैन को विधान परिषद का सदस्य बनाकर हुसैन को राज्य की राजनीति में उतार दिया. भूपेंद्र यादव और नित्यानंद राय की जोड़ी ने बुधवार को आरजेडी के पूर्व सांसद सीताराम यादव सहित आरजेडी के सात नेताओं को पार्टी में शामिल करवाया.


यादव वोट बैंक पर 2014 से ही बीजेपी की नजर


बिहार की राजनीति को नजदीक से समझने वाले वरिष्ठ पत्रकार संतोष सिंह भी कहते हैं कि इसमें कोई शक नहीं कि आरजेडी के वोटबैंक में सेंध लगाने की कोशिश में बीजेपी जुटी है, जिसमें कुछ सफलता भी मिली है. उन्होंने कहा कि बीजेपी की यादव वोट बैंक पर 2014 से ही नजर गड़ी है. उसका ही परिणाम है कि कई क्षेत्रों में यादव मतदाताओं का वोट भी एनडीए को मिला है. हालांकि सिंह मुस्लिम मतदाताओं में सेंध लगाने को आसान नहीं मानते. सिंह कहते हैं कि इसमें कोई शक नहीं कि शाहनवाज हुसैन जैसा बड़ा मुस्लिम नेता बिहार में कोई नहीं है. उन्होंने संभावना जताते हुए कहा कि हुसैन को बिहार लाना पश्चिम बंगाल के चुनाव से जोड़कर देखा जा सकता है.


इधर, बीजेपी के प्रवक्ता मनोज शर्मा इसे सिरे से नकारते हैं. उन्होंने कहा कि बीजेपी का 'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास' मूल मंत्र है. बीजेपी में जाति, परिवार, धर्म कोई मायने नहीं रखता. यहां सभी का सम्मान है. बीजेपी की रणनीति केवल विकास को देखकर बनती है. उन्होंने कहा कि अन्य दलों के नेताओं में बीजेपी के प्रति आकर्षण बढ़ा है और वे लोग बीजेपी में सम्मिलित हो रहे हैं.


सीमांचल पर बीजेपी के नेताओं की नजर


इसमें कोई दो राय नहीं कि बीजेपी के नेताओं की नजर सीमांचल पर भी है. माना जा रहा है कि ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने विधानसभा चुनाव में पांच सीटें जीती है, जिससे बीजेपी को लगता है कि किसी बड़े मुस्लिम नेता के जरिए सीमांचल में सेंधमारी की जा सकती है. हालांकि जानकार इसे आसान नहीं मानते. इधर, आरजेडी के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी भी कहते हैं कि बिहार में आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी है. आरजेडी के वोटबैंक में सेंधमारी इतना आसान नहीं है. उन्होंने कहा कि आरजेडी गरीबों, पिछड़ों की पार्टी रही है. बहरहाल, इतना तय है कि बीजेपी के राणनीतिकार आरजेडी के वोटबैंक में सेंधमारी करने की रणनीति पर काम कर रहे हैं, अब देखने वाली बात होगी उन्हें इसमें कितनी सफलता मिलती है.


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