पटना: केंद्र सरकार ने देश की जनता के लिए आम बजट तो पेश कर दिया है अब बिहार सरकार की बारी है. राज्य सरकार द्वारा पेश किए जाने वाले आम बजट पर नजरें टिकी हुई हैं. बिहार सरकार के बजट में इस बार क्या खास होगा यह तो देखने वाली बात होगी, लेकिन सबसे पहले यह जान लीजिए कि यह क्या होता है. केंद्रीय बजट पेश होने के बाद राज्य सरकार को बजट क्यों पेश करना पड़ता है. राज्य सरकार के बजट में कौन-कौन सी बातें प्रमुख होती हैं.


अर्थशास्त्री नवल किशोर चौधरी ने एबीपी न्यूज़ से बजट को लेकर खास बातचीत की. बताया कि भारतीय संविधान के निर्देश के अनुसार उसके प्रावधान के अनुरूप कोई भी सरकार जो लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई है उसे विधानसभा में अगले वित्तीय वर्ष के लिए बजट पेश करना होता है. इसमें विभिन्न स्रोतों से होने वाली आय का विवरण होता है. साथ ही उस आय से होने वाले विभिन्न मदों पर आवंटन का ब्योरा होता है. जब तक विधानसभा उस बजट को स्वीकृत नहीं करता है तब तक सरकार को यह अधिकार नहीं मिलता है कि विभिन्न स्रोतों से आय की उगाही करे और विभिन्न मदों पर उस आय को खर्च कर सरकार चलाए, जनकल्याण की योजनाएं चलाए. 


दो भागों में बंटा होता है बजट


नवल किशोर चौधरी ने बताया कि दो भाग में बजट बंटा होता है. सार्वजनिक व्यय, सरकार द्वारा किए गए खर्च का ब्योरा और दूसरा भाग होता है सार्वजनिक आय. सरकार द्वारा प्राप्त की जाने वाली आए. संविधान में तीन सूची है. एक केंद्रीय सूची है उन मदों पर केंद्र काम करता है. दूसरा स्टेट जिसपर राज्य सरकारों का अधिकार है. इसमें प्रशासन तो है ही, इसके अलावा कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य जैसे महत्वपूर्ण विषय राज्य सरकार के क्षेत्र में आते हैं. इन क्षेत्रों में सरकार को काम करना होता है.


स्वाभाविक रूप से इनमें क्या काम होगा? क्या योजनाएं चलाई जाएंगी? उसका ब्योरा होता है. इस पर कितना आवंटन होगा सरकारी खजाने से या कितना खर्च किया जाएगा इसका ब्योरा होता है. यह तो खर्च का ब्योरा हुआ. इसे कैसे पूरा किया जाएगा इसका ब्योरा सार्वजनिक आय वाले सेक्शन में होता है. इसमें पहला जो है वह टैक्स है. कुछ ऐसे कर हैं जिसे सिर्फ राज्य सरकार लगाती है. कुछ ऐसे टैक्स हैं जो केंद्र सरकार लगाती है, लेकिन राज्य का उसमें हिस्सा होता है. इसके साथ ही एक सेक्सन और उधार, ऋण होता है. ऋण के माध्यम से भी आय प्राप्त की जाती है. ऐसे सेक्शन भी हैं जिसमें राज्य सरकार जिन उद्योगों को चलाती है या जो कार्य करती है उसमें जो उसे आय प्राप्त होती है उसका ब्योरा होता है. एक सेक्शन ऐसा होता है कि आय और व्यय के बीच जो असंतुलन होता है उसको पाटने का कोई उपाय होता है.


कुल मिलाकर बजट में आने वाले साल में क्या खर्च होगा उसका ब्योरा होता है. उसकी एक रूपरेखा होती है और इससे पता चलता है कि सरकार आने वाली वित्तीय वर्ष में अपने कार्य का निष्पादन कैसे करेगी. किन मदों पर करेगी और उस पर खर्च की जाने वाली राशि का कैसे इंतजाम करेगी.


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