Pashupati Kumar Paras: फेर में पड़े पशुपति कुमार पारस! 7 दिनों का मिला अल्टीमेटम, क्या है पूरा मामला?
Pashupati Kumar Paras: भवन निर्माण विभाग (बिहार सरकार) की ओर से एक पत्र जारी हुआ है. इस पत्र के जरिए पशुपित पारस को पटना स्थित कार्यालय खाली करने का आदेश दिया गया है.
Pashupati Kumar Paras News: पूर्व केंद्रीय मंत्री और राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस फेर में पड़ गए हैं. उनके कार्यालय को खाली करने के लिए भवन निर्माण विभाग ने सात दिनों का समय दिया है. इसके साथ ही निर्देश दिया गया है कि अगर सात दिनों में खाली नहीं किया जाता है तो बलपूर्वक कार्यालय को खाली कराया जाएगा. भवन निर्माण विभाग (बिहार सरकार) के संयुक्त सचिव सह सक्षम प्राधिकार संजय कुमार सिंह की ओर से 22 अक्टूबर 2024 की तारीख में यह पत्र जारी हुआ है.
विभाग की ओर से लिखा गया है कि 30 जून 2006 को लोक जनशक्ति पार्टी को कार्यालय दिया गया था. इसके बाद 13 जून 2024 को इसका आवंटन रद्द कर दिया गया था. इसे खाली कराने के संबंध में 28 सितंबर 2024 को उप सचिव सह भू संपदा पदाधिकारी ने भवन निर्माण विभाग के संयुक्त सचिव से पत्र के जरिए अनुरोध किया था.
भवन निर्माण विभाग ने कहा- कोर्ट ने नहीं लगाया स्टे
संयुक्त सचिव ने 4 अक्टूबर 2024 को भवन (कार्यालय) खाली करने का नोटिस दिया. इसमें 15 दिनों का समय दिया गया था, लेकिन कार्यालय प्रभारी की ओर से बताया गया कि इस संबंध में हाई कोर्ट में मामला लंबित है. हालांकि भवन निर्माण विभाग का कहना है कि कोर्ट की ओर से कोई स्टे ऑर्डर नहीं है. इसके बाद भी 21 अक्टूबर तक भवन खाली नहीं किया गया.
उधर विभाग ने अपने पत्र में यह भी कहा है कि 'राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी' की ओर से एक पत्र प्राप्त हुआ है जबकि वह आवास 'राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी' को आवंटित नहीं है. जो आवास है वह तो 'लोक जनशक्ति पार्टी' के नाम से आवंटित है. इस कारण 'राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी' का इस मामले में कोई सरोकार नहीं है. ऐसे में उनके आवेदन को अस्वीकृत किया गया है.
खाली करने के लिए सात दिनों का दिया गया है समय
भवन निर्माण विभाग ने साफ तौर पर पत्र में लिखा है कि विभागीय एक्ट 1956 की धारा 4 के तहत शक्ति का उपयोग करते हुए अध्यक्ष राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी को निर्देश दिया जाता है कि आदेश प्राप्ति होने के सात दिनों के अंदर आवास (1 व्हीलर रोड, शहीद पीर अली खान मार्ग, पटना) को खाली कर दिया जाए. यदि निर्धारित अवधि में आवास खाली नहीं किया जाता है तो बाध्य होकर उसे बलपूर्वक खाली कराया जाएगा.
राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के मीडिया प्रभारी सुनील सिन्हा ने बताया कि जो पत्र मिला है उसमें यह दर्शाया गया है कि स्टे ऑर्डर नहीं है, लेकिन पहले जो पत्र मिला था हम लोग उसके लिए कोर्ट में गए थे. अब जबरन खाली करने का पत्र प्राप्त हुआ है. हम लोग शुक्रवार (25 अक्टूबर) को हाई कोर्ट जाएंगे. स्टे आर्डर लेंगे. उन्होंने बताया कि साजिश के तहत आवास को खाली कराया जा रहा है. एनडीए की सरकार है और एनडीए के हम भी साथी हैं. फिर हमारे साथ इस तरह का क्यों किया जा रहा है?
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