बिहार विधानसभा की 2 सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे मंगलवार को आए. बिहार के कुशेश्वरस्थान और तारापुर विधानसभा सीट पर मतदाता कराया गया था. दोनों सीटें जेडीयू ने जीती हैं. इन सीटों पर पहले भी उसी का कब्जा था. इस उपचुनाव में सबसे बड़ी जो घटना हुई, वह यह थी कि कांग्रेस और राजद का गठबंधन टूट गया. दोनों सीटों पर राजद दूसरे नंबर पर रही. लेकिन दोनों सीटों पर मिलाकर भी कांग्रेस 10 हजार वोट नहीं ले पाई. और दोनों जगह अपनी जमानत जब्त करा बैठी. यह तब हुआ है जब इन दोनों सीटों पर कन्हैया कुमार. जिग्नेश मेवानी और हार्दिक पटेल ने जाकर चुनाव प्रचार किया था. 


कहां से कौन जीता है


दरभंगा जिले की कुशेश्वरस्थान सीट से कांग्रेस ने अतिरेक कुमार को उम्मीदवार बनाया था. उन्हें 5 हजार 603 वोट मिले. अतिरेक अपनी जमानत भी नहीं बचा पाए. यहां जेडीयू के अमन भूषण हजारी ने राजद के गणेश भारती को 12 हजार 695 वोटों से हराया. वहीं मुंगेर की तारापुर में कांग्रेस ने राजेश कुमार मिश्र को उम्मीदवार बनाया था. उन्हें 3 हजार 590 वोटों से ही संतोष करना पड़ा. यहां भी कांग्रेस की जमानत जब्त हो गई. तारापुर में जेडीयू के राजीव कुमार सिंह ने राजद के अरुण कुमार को 3852 वोटों से मात दी.


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बिहार उपचुनाव के नतीजों ने एक बार फिर यह बता दिया है कि वहां कांग्रेस के लिए अकेले का कोई अस्तित्व नहीं है. उसे वहां अपना अस्तित्व बचाए रखने के लिए जरूरी है कि वह किसी गठबंधन में रहे. बिहार में कांग्रेस की हालत ऐसे समय हुई है, जब वहां शत्रुघन सिन्हा, कीर्ति आजाद, इमरान प्रतापगढी, कन्हैया कुमार, हार्दिक पटेल, जिग्नेश मेवानी जैसे स्टार प्रचारक थे. इन बड़े-बड़े स्टार प्रचारकों ने वहां खूब पसीना बहाया. इनकी चुनावी सभाओं में लोग भी आए. लेकिन वोट नहीं मिला. कन्हैया कुमार, जिग्नेश मेवानी और हार्दिक पटेल की जोड़ी कोई कमाल नहीं कर पाई. 


विधानसभा चुनाव से पहले बना राजद, कांग्रेस और वामदलों का गठबंधन उपचुनाव की घोषणा के साथ ही टूट गया था. दोनों सीटों पर राजद ने उम्मीदवार उतार दिए थे. इसके बाद कांग्रेस ने भी अपने उम्मीदवार उतार दिए. कांग्रेस ने राजद पर बीजेपी से मिलीभगत करने का आरोप लगाया. इसको लेकर दोनों दलों में तू-तू-मैं-मैं भी हुई. और परिणाम सामने हैं. दरअसल अलग चुनाव लड़ने का फैसला लेकर कांग्रेस अपने सहयोगी दलों को जो संदेश देना चाहती थी, उसमें वह बुरी तरह फेल हुई है. लगता है कि एक उपचुनाव के नतीजे आने के बाद कांग्रेस को महागठबंधन से अलग होने के अपने फैसले पर फिर से विचार करना होगा. 
 


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