Bihar by-election 2024: बिहार में चार विधानसभा सीट इमामगंज, बेलागंज, तरारी और रामगढ़ क्षेत्र में हो रहे उप चुनाव में मतदाता बुधवार (13 नवंबर) को अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे. इस उप चुनाव में राजनीतिक दलों की प्रतिष्ठा तो दांव पर लगी ही है. कई बड़े नेताओं की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी है. इस चुनाव में सबसे बड़ी बात है कि करीब सभी सीटों पर विरासत बचाने की लड़ाई है.


जगदानंद सिंह की प्रतिष्ठा भी दांव पर


रामगढ़ विधानसभा सीट से आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के छोटे पुत्र अजीत सिंह चुनावी मैदान में हैं. उनके बड़े पुत्र सुधाकर सिंह के सांसद बन जाने के बाद यह सीट खाली हो गई थी. ऐसे में यह सीट आरजेडी से ज्यादा पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बना हुआ है. 


इस सीट पर आरजेडी नेताओं ने जमकर पसीना बहाया है. इधर, इमामगंज विधानसभा सीट से केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी की पुत्रवधू दीपा मांझी एनडीए प्रत्याशी के रूप में चुनावी मैदान हैं. ऐसे में यह सीट केंद्रीय मंत्री के साख का सवाल बनी हुई है. यहां आरजेडी और जन सुराज पार्टी के प्रत्याशी से उन्हें कड़ा मुकाबला मिल रहा है. इसी तरह बेलागंज सीट भी सांसद सुरेंद्र यादव के साख से जुड़ गया है. यहां आरजेडी ने सांसद के पुत्र डॉ विश्वनाथ को चुनावी मैदान में उतार दिया है.


बेलागंज सीट लंबे समय से राजद के कब्जे में रही है. सुरेन्द्र यादव यहां लंबे समय तक बेलागंज के विधायक रहे हैं. इस उप चुनाव में तरारी सीट पर भी सबकी निगाह लगी हुई है. तरारी सीट से इस उप चुनाव में दिग्गज और बाहुबली नेता सुनील पांडेय के पुत्र भाजपा की टिकट पर चुनाव मैदान में पहली बार भाग्य आजमा रहे हैं. 


प्रशांत किशोर की साख का सवाल


इधर, इस उप चुनाव में प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज ने भी प्रत्याशी उतारकर लड़ाई को दिलचस्प बना दिया है. कितनी सीटें इस चुनाव में जनसुराज को मिलेगी, इस पर सबकी नजर है. ऐसे में कहा जा रहा है कि अगर जनसुराज किसी भी सीट पर जीत दर्ज कर विरासत की सियासत को रोकने में सफल हो गई तो यह जनसुराज के लिए एक बड़ी उपलब्धि होगी.


ये भी पढ़ेंः Kartik Fair: मिथिला का पांच दिवसीय कार्तिक मेला 14 नवंबर से होगा शुरू, लाखों श्रद्धालु पिपराघाट में लगाएंगे डुबकी