पटनाः बिहार में कुशेश्वर स्थान और तारापुर विधानसभा सीट पर 30 अक्टूबर को उपचुनाव हुआ था. दो नवंबर को मतगणना होगी. मतदान से पहले किसी पार्टी ने प्रचार प्रसार में कोई कसर नहीं छोड़ी थी चाहे वह जेडीयू हो, आरजेडी या फिर कांग्रेस. आज ऐसे ही कुछ नेताओं के बारे में हम चर्चा करेंगे जिन्होंने ना सिर्फ प्रचार किया बल्कि रणनीति बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है. बिहार की तीनों खास पार्टियों (JDU, RJD, Congress) के नेताओं के बारे में जिक्र कर रहे हैं. इसके पहले बता दें कि तारापुर में कुल 51.87 प्रतिशत मतदान हुआ है. इसमें 45.72 फीसद पुरुष ने और 50.19 फीसद महिलाओं ने मतदान किया है. जबकि कुशेश्वर स्थान में कुल 49 प्रतिशत मतदान हुआ है.


बिहार में एनडीए गठबंधन वाली पार्टी जेडीयू किसी भी हाल में इन दोनों सीटों को जीतना चाहती है, क्योंकि दोनों सीट पहले जेडीयू के पास ही थी. जेडीयू के तरफ से तारापुर में कमान खुद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने संभाल रखी थी. इसके अलावा पार्टी के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा भी लगातार चुनाव प्रचार में लगे हुए थे. इन दोनों के अलावा अशोक चौधरी को तारापुर विधानसभा सीट की जिम्मेदारी दी गई थी. बीजेपी की ओर से सम्राट चौधरी भी खुद कमान संभाले हुए थे. वहीं, JDU की तरफ से कई मंत्री, विधायक, सांसद और एमएलसी भी लगातार चुनाव प्रचार में लगे हुए थे.


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नीतीश कुमार के निशाने पर थे लालू राबड़ी


वहीं, दूसरी विधानसभा सीट कुशेश्वर स्थान की जिम्मेदारी मंत्री संजय झा के जिम्मेदारी थी. इनके अलावा विधानसभा उपाध्यक्ष महेश्वर हजारी भी लगातार चुनाव प्रचार में लगे हुए थे. भारत सरकार के मंत्री आरसीपी सिंह ने भी कुशेश्वर स्थान और तारापुर में चुनाव प्रचार किया था. जेडीयू के स्टार प्रचारक खुद नीतीश कुमार थे और उन्होंने तारापुर और कुशेश्वर स्थान में ना सिर्फ प्रचार किया बल्कि जनता को ये बताने की कोशिश भी की थी कि उन्होंने तमाम जाति और धर्म के लिए विकास किया है. उनके निशाने पर लालू और राबड़ी देवी की सरकार थी.


लालू यादव ने आकर बदल दिया माहौल


वहीं, आरजेडी की बात करें तो तारापुर और कुशेश्वर स्थान प्रतिष्ठा की सीट बनी हुई है क्योंकि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने छह साल बाद किसी चुनावी सभा को संबोधित किया था. वे खुद चुनाव प्रचार के लिए दिल्ली से पटना आए थे. इनके आने से ये दोनों सीटें आरजेडी के लिए खास हो चुकी हैं. आरजेडी ने दोनों सीट को अपने पाले में करने के लिए दिग्गज नेताओं को मैदान में उतार दिया था. तेजस्वी यादव ने खुद मोर्चा संभाल रखा था. वे कभी तारापुर तो कभी कुशेश्वर स्थान में चुनाव प्रचार कर रहे थे. वहीं लालू यादव ने भी अंतिम समय में आकर बड़ी चुनावी सभा कर माहौल को बदल दिया. आरजेडी की तरफ से वरिष्ठ नेता उदय नारायण चौधरी, श्याम रजक, भाई वीरेंद्र जैसे वरिष्ठ नेताओं ने तारापुर में कैंप किया. कुशेश्वर स्थान में शिवचंद्र राम, श्याम रजक, अब्दुल बारी सिद्दीकी, भोला यादव, ललित यादव जैसे नेताओं को जिम्मेदारी दी गई थी.


आरजेडी से अलग होकर लंबे समय के बाद कांग्रेस कोई चुनाव लड़ रही है. कांग्रेस ने दोनों सीटों पर अपनी फौज उतार दी थी लेकिन उसकी नजर मुख्य रूप से कुशेश्वर स्थान पर टिकी है. प्रचार के लिए कांग्रेस ने ना सिर्फ बिहार कांग्रेस के प्रभारी भक्त चरण दास को उतारा था बल्कि अध्यक्ष मदन मोहन झा, कन्हैया, पप्पू यादव, रंजित रंजन, प्रेमचंद्र मिश्रा, अनिल शर्मा, शकील खान जैसे तमाम बड़े कांग्रेसी नेताओं को उतारा था. अब देखना होगा कि क्या आरजेडी से अलग होकर कांग्रेस को फायदा मिलता है या आरजेडी को ही इससे नुकसान पहुंचता है.



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