बिहार विधानसभा उपचुनाव (Bihar By Election 2021) के नतीजे आ चुके हैं. दोनों सीटें सत्ताधारी जेडीयू ने जीती हैं. इन दोनों सीटों पर राजद (RJD) दूसरे नंबर पर रही. इस उपचुनाव में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad yadav) ने लंबे समय बाद चुनाव प्रचार किया. इससे पहले उन्होंने 2015 के विधानसभा चुनाव में प्रचार किया था. लेकिन लालू के चुनाव प्रचार का भी फायदा राजद को नहीं मिला.
कई साल बाद किया चुनाव प्रचार
लालू प्रसाद यादव अपनी गंवई और बेबाक बोल के लिए मशहूर हैं. उपचुनाव में प्रचार के लिए आते ही उन्होंने मीडिया में सुर्खियां बटोर ली थीं. दरअसल दिल्ली से बिहार के लिए रवाना होने से पहले पत्रकारों के एक सवाल पर कांग्रेस के बिहार प्रभारी भक्तचरण दास महंत को 'भकचोन्हर' कह दिया था. उनके इस बयान पर कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया दी थी. उसने लालू के बयान को दलित विरोधी बताया था.
बिहार पहुंचकर लालू प्रसाद यादव ने तारापुर और कुशेश्वरस्थान में चुनाव प्रचार भी किया था. लेकिन उनके चुनाव प्रचार का फायदा राजद को नहीं मिला. उसे दोनों सीटों पर हार का सामना करना पड़ा था. इससे पहले जब लालू ने 2015 के चुनाव में प्रचार किया था, तो उनके गठबंधन को भारी जीत मिली थी. उस समय जेडीयू राजद के साथ थी.
उस चुनाव में राजद ने 101 सीटों पर चुनाव लड़ते हुए 80 सीटों पर जीत दर्ज की थी. उसे 18.35 फीसदी वोट मिले थे. वहीं जेडीयू ने भी 101 सीटों पर चुनाव लड़ा था. उसने 16.38 फीसदी वोटों के साथ 71 सीटों पर जीत दर्ज की थी. इन दोनों की सहयोगी कांग्रेस ने 41 सीटों पर चुनाव लड़कर 27 सीटें जीत ली थीं. उसे 6.66 फीसदी वोट मिले थे. इन तीनों ने मिलकर नीतीश कुमार के नेतृत्व में सरकार बनाई थी.
नरेंद्र मोदी ने कब दी सफाई
साल 2015 के चुनाव में लालू प्रसाद छाए रहे. आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के आरक्षण पर दिए एक बयान को मुद्दा बना दिया. इस मुद्दे के सहारे ही लालू ने अपने गठबंधन को जीत दिला दी. यह चुनाव ऐसा था जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लालू के सवालों पर सफाई देनी पड़ रही थी.
उपचुनाव के नतीजे आने के बाद कई हल्कों में यह कहा जा रहा है कि अब लालू प्रसाद यादव चुक गए हैं. और राजद अब तेजस्वी यादव के नतृत्व में काम कर रही है. आमतौर पर देखा यह गया है कि उपचुनाव में सत्तारूढ़ दल को फायदा मिलता है. बिहार उपचुनाव में भी ऐसा ही होता नजर आया. जिन दो सीटों पर जेडीयू ने चुनाव जीता है, वो परंपरागत तौर पर उसी की सीट है. पिछले कुछ चुनाव से जेडीयू उम्मीदवार वहां से जीतते आए हैं. ऐसे में उपचुनाव में भी उनका जीतना कोई नई बात नहीं है. लेकिन इन नतीजों के आधार पर यह नहीं कहा जा सकता है कि लालू यादव अब चुक गए हैं, क्योंकि पार्टी पर अभी भी तेजस्वी से अधिक लालू की पकड़ है.