Vishal Prashant: पिता से सीखे गुर... 34 की उम्र में ही तरारी का किला ढाहा, कौन हैं युवा 'खिलाड़ी' विशाल प्रशांत?
Vishal Prashant Profile: तरारी सीट 2008 के परिसीमन से पहले पीरो विधानसभा के नाम से जानी जाती थी. 34 साल के विशाल प्रशांत पहली बार चुनावी मैदान में उतरे और उन्हें जीत मिल गई.
BJP Vishal Prashant Wins from Tarari Seat: बिहार की तरारी विधानसभा सीट से बीजेपी के उम्मीदवार विशाल प्रशांत ने जीत दर्ज की है. 34 की उम्र में ही उन्होंने तरारी का किला ढाहकर इतिहास रच दिया है. माले के गढ़ में इस सीट से भारतीय जनता पार्टी ने बाहुबली सुनील पांडेय के बेटे विशाल प्रशांत को मैदान में उतारा था. विशाल प्रशांत को कुल 78,755 वोट मिले हैं. वहीं माले के राजू यादव को 68,143 वोट मिले हैं. जानिए कौन हैं विशाल प्रशांत जिन्होंने लाल झंडा के गढ़ में बीजेपी का कमल खिलाया है.
पिता माले से दो बार हारे... अब बेटा जीता
तरारी सीट से बीजेपी ने सुनील पांडेय के बेटे को टिकट देकर बड़ा दांव खेल दिया था. 34 साल के विशाल प्रशांत पहली बार चुनावी मैदान में उतरे और उन्हें जीत मिल गई. ये वो सीट से है जहां से उनके पिता दो बार माले से चुनाव हार गए थे. अब विशाल प्रशांत ने माले के राजू यादव को 10,612 वोटों से हराया है.
सुनील पांडेय पर बाहुबली होने का ठप्पा
जानकारों की मानें तो सुनील पांडेय की छवि सियासी रूप से ठीक नहीं है. सुनील पांडेय पर बाहुबली होने का ठप्पा है. बीजेपी ने सियासी रणनीति का ख्याल रखते हुए उनके बेटे को टिकट दिया था ताकि कोई सवाल नहीं उठे. बेदाग छवि वाले को टिकट दिया और यही वजह रही कि किसी ने वाकई सवाल नहीं उठाया.
बीजेपी प्रत्याशी विशाल प्रशांत पहली बार चुनावी मैदान में उतरे थे. बता दें कि इससे पहले विशाल प्रशांत के पिता और पूर्व विधायक सुनील पांडेय तरारी सीट से टिकट की दावेदारी पेश कर रहे थे. इसके बाद पार्टी ने उनके बेटे को टिकट देने का फैसला किया. पहली बार चुनाव लड़ने वाले विशाल प्रशांत के पास कोई खास राजनीतिक अनुभव नहीं था, लेकिन पिता के सिखाए गुर से उन्होंने तरारी सीट को अपने नाम कर लिया है.
कभी बीजेपी से बागी होकर पिता ने लड़ा था चुनाव
तरारी सीट 2008 के परिसीमन से पहले पीरो विधानसभा के नाम से जानी जाती थी. बाहुबली सुनील पांडेय पीरो और तरारी से चार बार विधायक रहे. शुरुआत में वे समता पार्टी और जेडीयू से जुड़े थे, बाद में बीजेपी में शामिल हो गए. 2020 में उन्होंने बीजेपी से बागी होकर तरारी से निर्दलीय चुनाव लड़ा और दूसरे नंबर पर रहे. उन्होंने बीजेपी के कौशल विद्यार्थी को तीसरे नंबर पर धकेल दिया था.
इसके बाद सुनील पांडेय पशुपति पारस के गुट वाली रालोजपा से जुड़ गए. पशुपति पारस सुनील पांडेय के दम पर 2024 के उपचुनाव में तरारी सीट मांग रहे थे, लेकिन बीजेपी ने उन्हें अपने खेमे में कर दिया और उनके बेटे विशाल प्रशांत को टिकट दे दिया. तरारी विधानसभा उपचुनाव में लेफ्ट पार्टी सीपीआई माले का जादू नहीं चल पाया. पिछले दो चुनावों से लगातार यहां माले के सुदामा प्रसाद जीत रहे थे. इस साल लोकसभा चुनाव लड़कर वे आरा से सांसद बन गए. उनके इस्तीफे से खाली हुई तरारी सीट पर उपचुनाव हुआ था.
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