पटना: जाति आधारित जनगणना (Caste Based Census) पर शनिवार को सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने अपनी सफाई दी है. उन्होंने कहा कि यह गणना किसी के खिलाफ नहीं है, बल्कि इससे सभी का भला होगा और सरकारी योजनाएं बनाने में मदद मिलेगी. हालांकि, इस दौरान सीएम ने रोहिंग्या मुसलमान और बांग्लादेशी घुसपैठियों की गिनती होने की बीजेपी की आपत्ति पर चुप्पी साध ली.
बता दें कि बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. संजय जायसवाल (BJP State President Dr. Sanjay Jaiswal) ने सर्वदलिय बैठक (All Party Meeting) के बाद कहा था कि जातिगत जनगणना से जुड़ी कुछ आशंकाओं पर चर्चा हुई है. इस बारे में उन्होंने कहा कि मैंने अपनी बातों को रखते हुए मुख्यमंत्री के सामने तीन आशंकाएं प्रकट की थी, जिनका निदान गणना करने वाले कर्मचारियों को स्पष्ट रूप से बताना होगा.
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जातीय जनगणना पर BJP की तीन आशंकाएं
- जातीय एवं उप-जातीय गणना के कारण कोई रोहिंग्या और बांग्लादेशी का नाम नहीं जुड़ जाए और बाद में वह इसी के आधार पर नागरिकता को आधार नहीं बनाए.
- सीमांचल में मुस्लिम समाज में यह बहुतायत देखा जाता है कि अगड़े शेख समाज के लोग शेखोरा अथवा कुलहरिया बन कर पिछड़ों की हकमारी करने का काम करते हैं. यह भी गणना करने वालों को देखना होगा कि मुस्लिम में जो अगड़े हैं, वह इस गणना की आड़ में पिछड़े अथवा अति-पिछड़े नहीं बन जाएं. बीजेपी नेता ने कहा कि ऐसे हजारों उदाहरण सीमांचल में मौजूद हैं जिनके कारण बिहार के सभी पिछड़ों की हकमारी होती है.
- भारत में सरकारी तौर पर 3747 जातियां है और केंद्र सरकार ने स्वयं सुप्रीम कोर्ट के हलफनामे में बताया कि उनके 2011 के सर्वे में 4.30 लाख जातियों का विवरण जनता ने दिया है. यह बिहार में भी नहीं हो इसके लिए सभी सावधानियां बरतने की आवश्यकता है.
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