पटना: बिहार में जातिगत जनगणना पर सोमवार को पटना हाई कोर्ट में होने वाली सुनवाई टल गई है. जातीय गणना पर रोक लगाने की याचिका पर अब मंगलवार को पटना हाईकोर्ट में सुनवाई होगी. दरअसल जातीय गणना पर रोक लगाने ने लिए पटना हाई कोर्ट में आज सुनवाई होनी थी. जातीय गणना कराने के बिहार सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी. याचिका में कहा गया था कि राज्य सरकार को जाति गणना कराने का संवैधानिक अधिकार नहीं है. साथ ही इस पर खर्च हो रहा 500 करोड़ रुपए भी टैक्स के पैसों की बर्बादी है.
जातीय गणना से जुड़ी याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई से इनकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाई कोर्ट को अहम निर्देश दिया था. इसके तहत याचिकाकर्ता की याचिका अब पटना हाईकोर्ट में सुनी जाएगी. सुप्रीम कोर्ट के आदेश में कहा गया था कि 3 दिन में सुनवाई कर पटना हाई कोर्ट मामले में अंतरिम आदेश दे. इसी पर आज सुनवाई होने वाली थी तो कल तक के लिए टल गई है.
याचिका में कहा गया है कि बिहार सरकार के पास जातिगत जनगणना कराने का कोई अधिकार नहीं है. ऐसा करके सरकार संविधान का उल्लंघन कर रही है. याचिका में कहा गया कि जाति आधारित जनगणना में लोगों की जाति के साथ-साथ उनके कामकाज और उनकी योग्यता का भी ब्योरा लिया जा रहा है. ये उसके गोपनीयता के अधिकार का हनन है.
बता दें कि बिहार में जनवरी 2023 में जातीय जनगणना का काम शुरू हुआ था. दूसरे चरण का काम 15 अप्रैल से लेकर 15 मई तक चलेगा. पहले चरण में मकानों की गिनती की गई थी. जबकि दूसरे चरण में जनगणना अधिकारी घर-घर जाकर लोगों की जाति के अलावा उनकी आर्थिक ब्योरा जमा कर रही है. बिहार सरकार की ओर से महाधिवक्ता पीके शाही पटना हाईकोर्ट में अपनी दलील रखेंगे. याचिकाकर्ताओं की ओर से हाईकोर्ट के अधिवक्ता दीनू कुमार केस लड़ रहे हैं.
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