पटना: जातीय जनगणना पर रोक लगाने के मामले पर पटना हाई कोर्ट में अहम सुनवाई होने वाली है. जातीय जनगणना कराने के बिहार सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी. याचिका में कहा गया था कि राज्य सरकार को जाति गणना कराने का संवैधानिक अधिकार नहीं है. साथ ही इस पर खर्च हो रहे 500 करोड़ रुपए भी टैक्स के पैसों की बर्बादी है.


जातीय गणना से जुड़ी याचिका पर सुनवाई से इनकार करते हुए शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाई कोर्ट को अहम निर्देश दिया था. इसके तहत याचिकाकर्ता की याचिका अब पटना हाईकोर्ट में सुनी जाएगी. सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को दिए आदेश में कहा था कि 3 दिन में सुनवाई कर पटना हाई कोर्ट मामले में अंतरिम आदेश दें.


वहीं पहले चरण की जनगणना जनवरी में शुरु हुई थी. 15 अप्रैल को बिहार में जातिगत जनगणना के दूसरे चरण की शुरुआत की गई थी फिलहाल जनगणना कराने का काम जारी है. 15 मई तक इसे पूरा करने के बाद इस पर रिपोर्ट तैयार की जाएगी. बिहार की नीतीश सरकार के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी.


बिहार सरकार ने पिछले साल जातिगत जनगणना कराने का नोटिफिकेशन जारी किया था. बिहार में इस जनगणना का पहला चरण जनवरी में पूरा हो गया था. वहीं दूसरी ओर कोर्ट में याचिका दायर जनगणना पर रोक लगाने की मांग की गई थी. याचिका में कहा गया था कि नीतीश सरकार का जातिगत जनगणना कराने का यह फैसला संविधान के मूल ढांचे का उलंघ्घन है. क्योंकि जनगणना कराने का हक केवल केंद्र सरकार के पास है. राज्य सरकार अपने स्तर पर जनगणना नहीं करा सकती. हालांकि सुप्रीम कोर्ट इन याचिकाओं पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया था. 


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