Bihar News: जातिगत जनगणना में थर्ड जेंडर की भी जाति के रूप में कोडिंग, मामला पहुंचा हाई कोर्ट
Third Gender Coading Case: याचिका में मुख्य रूप से थर्ड जेंडर को जाति बताने, लोहार जाति को पिछड़ा में शामिल करने और उप जातियों को जातीय गणना से अलग रखने की बात है. जाति आधारित जनगणना अनलीगल है.
Caste Census: बिहार में जातिगत जनगणना के लिए थर्ड जेंडर (Third Gender) की कोडिंग जाति के रूप में करने से मंगलमुखी रेशमा (Manglamukhi Reshma) काफी नाराज हैं. उन्होंने सरकार के इस फैसले को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट (High Court) में याचिका दायर कर दी है. याचिका देने वाली सामाजिक कार्यकर्ता थर्ड जेंडर मंगलामुखी रेशमा ने बताया कि कास्ट की कोडिंग की गई है.
इसमें थर्ड जेंडर को भी जाति बताया गया है. जब पुरुष और महिला जाति में नहीं आ सकते तो थर्ड जेंडर को जाति कैसे बताया गया है. थर्ड जेंडर के भी माता-पिता होते हैं. उनकी भी जाति है, तो फिर थर्ड जेंडर एक जाति में कैसे हो जाएंगे.
एक चरण हो चुका है पूरा
बिहार में जाति आधारित गणना की शुरुआत हो चुकी है. दो चरणों में बिहार सरकार जाति आधारित गणना करवा रही है. इसके पहले चरण की समाप्ति भी हो चुकी है. दूसरा चरण 15 अप्रैल से 15 मई तक चलेगा. 31 मई तक गणना का काम पूरा कर देने का लक्ष्य रखा गया है. इसके लिए बिहार सरकार 500 करोड़ रुपये खर्च कर जाति आधारित गणना करवा रही है.
जातीय गणना के लिए सभी जाति का कोड संख्या बनाया गया है. लेकिन, अब इस पर कानूनी प्रक्रिया के तहत विवाद शुरू हो चुका है. इसको लेकर आज पटना हाईकोर्ट में अपील भी दायर की गई है. इस पर पहली बहस 18 अप्रैल को होनी है.
क्या है याचिका में
याचिका में मुख्य रूप से थर्ड जेंडर को जाति बताने, लोहार जाति को पिछड़ा में शामिल करने और उप जातियों को जातीय गणना से अलग रखने की बात दर्शाई गई है. अपील दायर करने वाले वकील एडवोकेट दीनू कुमार ने कहा कि जाति आधारित गणना पूरी तरह अनलीगल है. इसमें बिहार की जनता के 500 करोड़ रुपये का दुरुपयोग किया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि बिहार में होने वाला कास्ट सर्वे संविधान के खिलाफ है. जिस तरह से जातियों की गिनती का की जा रही है, वह तो पूरी तरह गलत है. एडवोकेट ने कहा कि जातीय गणना में लोहार को एससी/एसटी बताया गया है, जबकि जून 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने ही लोहार जाति को अति पिछड़ा में रखने का आदेश दिया था. इसके लिए बिहार सरकार पर पांच लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था. इन सब मुद्दों को लेकर हमने अपील दायर कर दी है. 18 अप्रैल को पहली बहस होगी. न्यायालय के समक्ष हम सभी बातों को रखेंगे.
जानें क्या कहा बीजेपी नेता ने
हाई कोर्ट में जातीय गणना पर दायर अपील का पक्ष लेते हुए बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता निखिल आनंद ने कहा कि बिहार सरकार को जातीय गणना पर संवेदनशील होने की जरूरत है. आश्चर्य की बात है कि जो जातियां है उसकी उप जातियों की गणना नहीं की जा रही है. थर्ड जेंडर को एक जाति बता दिया गया है यह हद की बात है .उन्होंने कहा कि ब्राह्मण को एक जाति मनाया गया है जबकि ब्राह्मण के 4 उप जाती है जो कि ओबीसी में आते हैं. इस तरह की कई त्रुटियां है जिस पर सरकार ध्यान नहीं दे रही है और अपने वाहवाही में जातीय गणना कराकर लोगों में भ्रम की स्थिति उत्पन्न कराई है .
जदयू प्रवक्ता ने की सराहना
इस पूरे मामले पर जदयू प्रवक्ता अभिषेक झा ने कहा कि बिहार में जातीय गणना कराने का निर्णय बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का काफी सराहनीय है. सभी लोग चाहते हैं कि बिहार में जातीय गणना हो. लेकिन, अभी गणना का काम पूरा नहीं हुआ है. इसमें कुछ कमियां आएंगी, सुझाव भी लिए जाएंगे. उन्होंने कहा कि सुझावों के आधार पर भी काम किया जाएगा.
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