पटना: बिहार में जातीय गणना की रिपोर्ट पर राजनीति शुरू हो गई है. विपक्षी दल बीजेपी इस रिपोर्ट को आधी अधूरी बता रही है. इसमें कई खामियां हैं. इस बीच पटना के एडीएम सह नोडल अधिकारी (जातीय गणना) मनोरंजन कुमार ने बुधवार (04 अक्टूबर) को जातीय गणना के बारे में एबीपी न्यूज़ से बात की. जातीय गणना कैसे हुई? क्या प्रोसेस था? मौजूदा विवाद पर एडीएम ने सब कुछ बताया. उन्होंने कैमरे पर फॉर्म भी दिखाए जिसका उपयोग सर्वे में किया गया है.


बिहार में दो चरणों में हुई जातीय गणना


जातीय गणना के नोडल अधिकारी मनोरंजन कुमार ने बताया कि बिहार में दो चरणों में जातीय गणना कराई गई. पहले चरण में घर गिने गए थे. हर परिवार के मुखिया और हर घर के सदस्यों का नाम पूछा गया. पहले चरण में हर घर में एक फॉर्म सर्वे टीम ने उस घर के लोगों से पूछकर भरा. फॉर्म में 10 सवाल थे जो लोगों से पूछे गए थे. दूसरे चरण की गणना में लोगों की जाति, आर्थिक स्थिति की जानकारी ली गई. दूसरे चरण में भी हर घर में एक फॉर्म उन घरों के लोगों से पूछकर सर्वे टीम ने भरा. फॉर्म में कुल 17 सवाल थे जो लोगों से पूछे गए. दोनों चरणों में जो फॉर्म भरा गया उसमें जो जानकारी मिली उसका डेटा एक मोबाइल एप पर अपलोड किया गया.



5 लाख लोगों ने सर्वे में किया काम: नोडल अधिकारी 


नोडल अधिकारी मनोरंजन कुमार ने बताया कि सर्वे टीम घर-घर पहुंची जो लोग घर पर नहीं थे जिनके यहां ताला लटका था. उनके यहां दोबारा टीम पहुंची. जातीय सर्वे में शिक्षकों, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, राजस्व कर्माचारी, पंचायत सचिव इत्यादी ने मदद की. इस सर्वे में शामिल लोगों को आवश्यक ट्रेनिंग दी गई थी. पूरे बिहार में पांच लाख कर्मचारी को सर्वे के काम में लगाया गया था. 


500 करोड़ रुपये के खर्च से हुई जातीय गणना


अधिकारी ने बताया कि जातीय गणना के सर्वे के लिए जिस फॉर्म का इस्तेमाल किया गया उसमें परिवार के लोगों के नाम, उनकी जाति, जन्मस्थान, परिवार के सदस्यों की संख्या, उनके आर्थिक स्थिति और सालाना आय से जुड़े सवाल थे. जिला स्तर पर सर्वे करने की जिम्मेदारी संबंधित जिला मजिस्ट्रेटों को दी गई थी जिन्हें इस काम के लिए जिलों में नोडल अधिकारी के तौर पर नियुक्त किया गया था. सरकार ने जातीय गणना के लिए 500 करोड़ रुपये खर्च किए हैं. सामान्य प्रशासन विभाग को जातीय गणना का सर्वे कराने की जिम्मेदारी मिली थी जिसके सीएम नीतीश कुमार मुखिया हैं. बहुत पारदर्शी तरीके से काम हुआ. कोई हेराफेरी आंकड़ों में नहीं की गई है. हर दिन काम की मॉनिटरिंग की जाती थी.


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