पटना: नीतीश सरकार ने सोमवार (2 अक्टूबर) को जातीय गणना की रिपोर्ट जारी की है जिसके बाद बिहार में नेताओं की बयानबाजी का दौर शुरू हो गया है. बीजेपी जातीय गणना की रिपोर्ट को आधी-अधूरी बता रही है. इस बीच बिहार में एक आंकड़े चौंकाने वाली है कि बिहार में कितनी आबादी है जो किसी धर्म को मानती ही नहीं है. उनकी संख्या 2,146 है.  


 जातीय गणना की रिपोर्ट पर नेताओं की बयानबाजी


बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने सोमवार (2 अक्टूबर) को कहा था कि जिनकी जितनी आबादी है उसके अनुसार उनको उतना हक मिलना चाहिए जिसके बाद बिहार में कई नेता हिस्सेदारी के हिसाब से मांग करने लगे हैं. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अनिल शर्मा ने सीएम नीतीश कुमार से बिहार में तीन नए डिप्टी सीएम बनाने की मांग की है. बिहार में 2011 के जनगणना में 10 करोड़ की आबादी थी तब सवर्णों की आबादी 17% थी. 2023 में नीतीश सरकार ने जातीय गणना के आंकड़े जो जारी किये उसमें सवर्णों की संख्या सिर्फ 11 फीसदी है. जबकि आबादी बिहार में अब 13 करोड़ है. नीतीश सरकार के जातीय गणना के रिपोर्ट में हेराफेरी की गयी है. 


हमसे और हमारे परिवार से किसी ने ली जाति की जानकारी


वहीं राष्ट्रीय लोक जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा  ने जाति आधारित गणना को लेकर सवाल किया है. उन्होने कहा कि  हमको कई नेताओं ने जानकारी दी है कि हमसे और हमारे परिवार से किसी ने जात की जानकारी भी नहीं ली. बीपीएल (BPL) जैसी सूची में भी कई खामिया रही है. लोगों की आशंका में दम है. सरकार हड़बड़ी में जातीय गणना रिपोर्ट जारी कर दी. बिहार प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने मीडिया से सोमवार को कहा कि उनकी पार्टी ने जाति आधारित गणना कराए जाने को समर्थन दिया था. इस कवायद के आज सार्वजनिक किए गए निष्कर्षों का अध्ययन करने के बाद ही उनकी पार्टी टिप्पणी करेगी. 


ट्रांसजेंडरों से नहीं पूछा गया


बिहार में जातीय गणना में ट्रांसजेंडरों को पूछा ही नहीं गया. ट्रांसजेंडर रेशमा ने कहा, ”रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार सरकार का दावा है कि ट्रांसजेंडर लोगों की आबादी केवल 825 है, जबकि 2011 की जनगणना में हमारी आबादी 42,000 से अधिक थी. सर्वेक्षण अधिकारियों ने बिहार में सभी ट्रांसजेंडरों की पहचान नहीं की, मेरी तो गिनती भी नहीं हुई, किसी ने मुझसे मेरी जाति के बारे में नहीं पूछा.”


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