Bihar News: बिहार में ठेकेदार पर एक्शन हो सकता है. बिहार के मुख्य सचिव अमृत लाल मीणा ने बुधवार (11 सितंबर) को ग्रामीण निर्माण विभाग (आरडब्ल्यूडी) के अधिकारियों को निर्देश दिया कि ग्रामीण सड़कों का रखरखाव न करने वाले ठेकेदारों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई सुनिश्चित की जानी चाहिए. उन्होंने आरडब्ल्यूडी के अधिकारियों से राज्य में सभी 65 हजार किलोमीटर लंबी ग्रामीण सड़कों का निरीक्षण करने के लिए तुरंत अभियान शुरू करने के लिए कहा है. यह भी कहा है कि पता लगाएं कि संबंधित ठेकेदारों की ओर से सड़कों के किस हिस्से का रखरखाव नहीं किया जा रहा है.


आरडब्ल्यूडी ने दोष दायित्व अवधि की अवधारणा तय की है, जिसके तहत ठेकेदार को पहले पांच वर्षों के लिए स्वयं की ओर बनाई गई ग्रामीण सड़क का रखरखाव करने और इस अवधि के दौरान पाई गई किसी भी कमी को ठीक करने की बाध्यता निर्धारित की गई है. राज्य सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क विभाग (आईपीआरडी) की ओर से जारी एक बयान के अनुसार मुख्य सचिव ने बुधवार को राज्य में ग्रामीण सड़कों के रखरखाव और निर्माण पर एक समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की. इसमें आरडब्ल्यूडी के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह और अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए. 


15 दिनों के भीतर पूरा हो निरीक्षण अभियान


मुख्य सचिव ने आरडब्ल्यूडी के अधिकारियों को निर्देश दिया कि उन ठेकेदारों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई सुनिश्चित की जानी चाहिए जो स्वयं द्वारा निर्मित ग्रामीण सड़कों का रखरखाव करने में विफल रहते हैं. उन्होंने कहा कि निरीक्षण अभियान 15 दिनों के भीतर पूरा किया जाना चाहिए.


आईपीआरडी के बयान में कहा गया है, "यदि अधिकारियों को ठेकेदारों की ओर से दोष दायित्व अवधि में स्पष्ट उल्लंघन मिलता है, तो संबंधित ठेकेदार को कार्य से हटाने की प्रक्रिया शुरू की जानी चाहिए." इस बीच, बिहार के आरडब्ल्यूडी मंत्री अशोक चौधरी ने कहा कि विभाग ने राज्य के ग्रामीण इलाकों में 26,000 किलोमीटर नई ग्रामीण सड़कें और एक हजार नए छोटे पुल बनाने का निर्णय लिया है.


अशोक चौधरी ने कहा, "राज्य में 2025 के विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री ग्रामीण सड़क उन्नयन योजना और मुख्यमंत्री ग्रामीण सेतु निर्माण योजना के तहत राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 26 हजार किलोमीटर नई सड़कों और एक हजार नए छोटे पुलों का निर्माण किया जाएगा. आरडब्ल्यूडी ग्रामीण इलाकों में नए छोटे पुलों के निर्माण के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) को अंतिम रूप दे रहा है. अब से बिना पहुंच पथ के कोई भी छोटा पुल नहीं बनाया जाएगा. यह निर्णय कुछ घटनाओं के मद्देनजर लिया गया है."


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