पटना: राजभवन मार्च के दौरान हुई बर्बरता से नाराज जमुई सांसद चिराग पासवान (Chirag Paswan) ने बुधवार को पीसी कर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि पुलिस से उन्हें कोई शिकायत नहीं है. वे सभी मुख्यमंत्री के कहने पर आए थे. मुख्यमंत्री ने ही आदेश दिया था कि भ्रष्टाचार के खिलाफ सड़क पर उतरे चिराग पासवान की आवाज को दबा दिया जाए. उन्होंने कहा कि हम शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे थे. लेकिन डाक बंगला चौराहा पर हमें रोक दिया गया. क्या मुख्यमंत्री चाहते थे कि कोई अप्रिय घटना हो.
पुलिस ने कार्यकर्ताओं पर किया लाठीचार्ज
उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि आयकर गोलंबर पर पुलिस उन्हें मीठी-मीठी बातें करते हुए आगे तक ले गई. लेकिन पीछे पार्टी कार्यकर्ताओं पर अंधाधुंध लाठियां चलाई गईं. यह मैंने देख लिया और उसके बाद मैं उल्टी दिशा में दौड़ कर गया. तब जाकर पुलिस ने लाठी चलाना बंद कर दिया. बाद में हम लोगों ने शांति से गिरफ्तारी दी.
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बिहार पुलिस द्वारा उन पर एफआईआर दर्ज नहीं करने के संबंध में उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार गजब परंपराओं की शुरुआत कर रहे हैं. हम लोगों को गिरफ्तार कर छोड़ दिया गया और फिर हम लोग पर एफआईआर कर दिया गया. लेकिन जब मेरे आह्वान पर यह मार्च था, मेरे नेतृत्व में पूरा काफिला निकला था, पार्टी का मैं अध्यक्ष हूं, तो फिर हम पर एफआईआर क्यों नहीं किया गया. हमें क्यों वंचित रखा गया. पूरे कार्यक्रम का कर्ताधर्ता में था. लेकिन मुझे छोड़ दिया गया. ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि मुख्यमंत्री ने सोचा होगा कि अगर चिराग पर एफआईआर किया तो वो नेता बन जाएगा. यही सोचकर उन्होंने मेरा नाम पर एफआईआर नहीं होने दी.
इनके खिलाफ एफआईआर दर्ज
बता दें कि लोक जनशक्ति पार्टी( रामविलास) द्वारा बिना किसी सक्षम प्राधिकार की अनुमति के राजभवन मार्च करने के मामले में पटना के कोतवाली थाना में संजय पासवान प्रधान, राजू तिवारी (प्रदेश अध्यक्ष), हुलास पांडेय (अध्यक्ष प्रदेश संसदीय बोर्ड), रेणु कुशवाहा (राष्ट्रीय महासचिव), अरुण कुमार (पूर्व सांसद), डॉ. शहनवाज अहमद कैफी (राष्ट्रीय महासचिव), वेद प्रकाश पांडेय (युवा लोजपा प्रदेश अध्यक्ष), राजेश मंटू (प्रदेश प्रवक्ता) समेत अन्य सैकड़ों अज्ञात के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज की गई है. हालांकि, चिराग के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं की गई है.
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