पटना : मुंगेर में हुए विवाद में पुलिस द्वारा लगाए जा रहे आरोप कि भीड़ द्वारा पुलिस पर फायरिंग पहले की गई गलत साबित हुआ है. घटनास्थल पर तैनात सीआईएसएफ की टीम ने अपने आलाधिकारियों को जो रिपोर्ट सौंपी है उस रिपोर्ट में स्पष्ट कहा गया है फायरिंग की शुरूआत मुंगेर पुलिस ने की थी. बाद में केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के जवानों ने भी फायरिंग की.
दरअसल, खबर के अनुसार मुंगेर पुलिस का ये आरोप था कि दुर्गा प्रतिमा विर्सजन जुलूस के दौरान उपद्रवियों ने फायरिंग की थी और उनकी फायरिंग से ही एक युवक की मौत हो गयी थी. सीआईएसएफ की आंतरिक रिपोर्ट ने मुंगेर पुलिस के दावों को गलत साबित कर दी और पुलिस की पोल खोल दी है. मुंगेर की इस हिंसक झड़प के बाद सीआईएसएफ के डीआईजी ने अपने मुख्यालय को रिपोर्ट भेजी है. दरअसल चुनाव के मद्देनजर मुंगेर में सीआईएसएफ की टीम को तैनात किया गया था. मुंगेर की एसपी ने दुर्गा प्रतिमा विर्सजन जुलूस के दौरान इस टीम को सुरक्षा कार्यों में तैनात किया था. इसके मद्देनजर ही सीआईएसएफ के डीआईजी ने अपनी रिपोर्ट मुख्यालय को भेजी है.
क्या लिखा है सीआईएसएफ की रिपोर्ट में
सीआईएसएफ के डीआईजी की रिपोर्ट के अनुसार ‘‘मुंगेर कोतवाली थाना के कहने पर सीआईएसएफ की टीम को मूर्ति विसर्जन जुलूस की सुरक्षा ड्यूटी के लिए जिला स्कूल स्थित कैंप से भेजा गया था. 26 अक्टूबर की रात 11 बजकर 20 मिनट पर CISF के 20 जवानों की टुकड़ी तैनात हुई. मुंगेर पुलिस ने इन 20 जवानों को 10-10 के दो ग्रुप में बांट दिया. एक ग्रुप को SSB और बिहार पुलिस के जवानों के साथ मुंगेर के दीनदयाल उपाध्याय चौक पर तैनात किया गया.”
इस रिपोर्ट के मुताबिक ‘‘ 26 अक्टूबर की रात के करीब 11 बजकर 45 मिनट पर विसर्जन यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं और स्थानीय पुलिस के बीच विवाद शुरू हुआ. विवाद इतनी बढ़ी कि कुछ लोगों ने पुलिस और सुरक्षाबलों पर पत्थरबाजी शुरू कर दी थी. पत्थर चलने के बाद मुंगेर पुलिस ने सबसे पहले हवाई फायरिंग की. फायरिंग के बाद लोग ज्यादा उग्र हो गए और पत्थरबाजी तेज कर दी.’’साथ हीं इस रिपोर्ट में यह भी लिखा है कि ‘‘हालात को बेकाबू होते देख सीआईएसएफ के हेड कांस्टेबल एम गंगैया ने अपनी इंसास राइफल से 13 गोलियां हवा में फायर कीं. फायरिंग के बाद उग्र भीड़ तितर-बितर हुई. फिर सीआईएसएफ, एसएसबी और स्थानीय पुलिस के जवान अपने कैंप में सुरक्षित वापस लौट गये.’’
सीआईएसएफ की इस रिपोर्ट से मुंगेर पुलिस के दावों का भंड़ाफोड हो गया क्योंकि मुंगेर पुलिस ने दावा किया था कि भीड़ से फायरिंग हुई. उन्होंने ये भी आरोप लगाया था कि भीड़ के हमले से दर्जनों पुलिस जवान घायल हो गये. लेकिन सीआईएसएफ की रिपोर्ट में जवानों के घायल होने का कोई जिक्र नहीं है. यह मामला 26 अक्टूबर का है.जब मुंगेर में प्रतिमा विसर्जन के दौरान पुलिस और स्थानीय लोगों में विवाद बढ़ा और फायरिंग में 18 साल के एक लड़के मौत हो गयी. पुलिस ने प्रतिमाओं को अपने कब्जे में लेकर उसे विसर्जित कर दिया.
उस घटना का कल विडियो वायरल होने के बाद पुलिस के खिलाफ आज लोगों का आक्रोश भड़का और मुंगेर में दिन भर हंगामा होता रहा.आक्रोशित लोगों ने पुलिस थाने में आग लगा दिया. इसके बाद चुनाव आयोग ने मुंगेर के एसपी और ड़ीएम को हटाने का निर्देश दिया. चुनाव आयोग ने मामले की जांच के निर्देश दिये हैं. मगध के डिविजनल कमिश्नर असंगबा चुबा को जांच की जिम्मेवारी सौंपी गयी है.वहीं मुंगेर में आज नये डीएम एस पी की तैनीती भी कर दी गई है.