पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा की मुलाकात के बाद बिहार में राजनीतिक समीकरण एक नया मोड़ ले सकता है. रालोसपा के आधिकारिक प्रवक्ता भोला शर्मा ने पटना में दोनों नेताओं के बीच हुई बैठक की पुष्टि की है.


शर्मा ने कहा, "दोनों नेताओं के बीच गुरुवार को मुलाकात के बाद बिहार में नए राजनीतिक समीकरण बनने की संभावना है. हमें राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के साथ कोई दिक्कत नहीं है. उपेंद्र कुशवाहा और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पहले एक साथ काम किया है और अगर एनडीए सरकार सामाजिक न्याय एवं बिहार के लोगों के कल्याण का काम करेगी तो हम इसके साथ जाएंगे." शर्मा ने हालांकि रालोसपा के जनता दल युनाइटेड (जेडीयू) में विलय की संभावनाओं से इनकार कर दिया.


सूत्रों ने कहा कि बिहार विधानसभा सत्र के आखिरी दिन 27 नवंबर को राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) नेता तेजस्वी यादव की आलोचना करने के बाद नीतीश कुमार कुशवाहा से खुश हैं. उस दिन नीतीश कुमार और विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव के बीच तीखी बहस हुई थी और कुशवाहा ने मुख्यमंत्री पर निजी हमला करने के लिए तेजस्वी की आलोचना की थी. नीतीश के साथ संबंधों में खटास पैदा होने से पहले तक कुशवाहा जेडीयू के एक महत्वपूर्ण नेताओं में से एक थे. भाजपा की ओर से बिहार में सरकार बनाने के लिए जेडीयू के साथ हाथ मिलाने के बाद उन्होंने 2016 में केंद्रीय मंत्रालय से इस्तीफा दे दिया था.


जेडीयू सरकार में राजनीतिक रूप से कमजोर


नीतीश कुमार के साथ कुशवाहा की मुलाकात के बड़े राजनीतिक निहितार्थ हैं. जेडीयू ने हाल ही में बिहार चुनाव में पिछड़ी जातियों और अल्पसंख्यक समुदाय के बीच नीतीश कुमार की लोकप्रियता को कम करने के साथ राजनीतिक आधार खो दिया है. पार्टी को सीमांचल क्षेत्र में गंभीर नुकसान उठाना पड़ा है. जेडीयू वर्तमान एनडीए सरकार में राजनीतिक रूप से कमजोर है, क्योंकि इसे हाल ही में हुए बिहार विधानसभा चुनावों में महज 43 सीटें मिली हैं. वहीं अभी तक राज्य में छोटे भाई की भूमिका में रही भाजपा ने इस पर विधानसभा चुनाव में शानदार प्रदर्शन करते हुए 74 सीटें जीती हैं. एक प्रकार से कह सकते हैं कि भाजपा के बेहतरीन प्रदर्शन की वजह से ही नीतीश कुमार दोबारा मुख्यमंत्री बन पाए हैं.


दूसरी ओर कुशवाहा ने चुनाव में एआईएमआईएम और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) से हाथ मिलाया. हालांकि कुशवाहा की पार्टी चुनाव में एक भी सीट जीतने में असमर्थ रही, लेकिन उसके गठबंधन के सहयोगियों ने विशेष रूप से एआईएमआईएम ने अच्छा प्रदर्शन किया और पांच सीटें जीतीं. बसपा भी एक सीट जीतने में सफल रही. इसके अलावा इन पार्टियों ने जेडीयू, आरजेडी और भाजपा जैसी पार्टियों के वोट भी काटे. नीतीश कुमार कुशवाहा के जरिए खोई जमीन हासिल करना चाहते हैं. सूत्रों ने कहा है कि उन्हें जेडीयू के कोटे से एमएलसी के रूप में चुना जा सकता है और मंत्री पद भी मिल सकता है.


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