पटना: बिहार में कोरोना टेस्टिंग के नाम पर गड़बड़ी को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. सीएम नीतीश ने कहा कि मामले की जांच की गई है और दोषियों पर कार्रवाई की जा रही है. उन्होंने कहा कि इस मामले में वो प्रिंसिपल सेक्रेटरी से जानकारी ले चुके हैं.


राज्य में कोरोना टेस्ट के डेटा की धोखाधड़ी पर बिहार के मुख्यमंत्री ने कहा, ''मैंने इसके बारे में प्रिंसिपल सेक्रेटरी से बात की है. उन्होंने कहा कि मामले की जांच की गई है और 22 जिलों पर निगरानी की जा चुकी है. यह एक स्थान पर देखा गया था और कार्रवाई की जा रही है. उन्होंने समाचार पत्र के पत्रकार से भी बात की, जिसने इसकी रिपोर्ट की.''


ये है पूरा मामला


बता दें कि बिहार में कोरोना की जांच रिपोर्ट के डेटा में बड़ी लापरवाही का मामला सामने आया है. सरकारी अस्पतालों में दी गई कोरोना की टेस्ट रिपोर्ट के डेटा में मरीजों का मोबाइल नंबर गलत दर्ज किया गया है. ये खुलासा जमुई के सरकारी अस्पताल में कोविड डेटा के एंट्री की जांच में हुआ है. डेटा में मोबाइल नंबर की जगह 10 जीरो लिख दिए गए.


इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, जमुई के बरहट प्राइमरी हेल्थ सेंटर में कोविड डेटा की एंट्री में 48 में से 28 लोगों के 'मोबाइल नंबर' दस जीरो (0000000000) के रूप में लिख दिए. इन लोगों ने इसी साल 16 जनवरी को कोरोना टेस्ट कराया था. 25 जनवरी को भी कोरोना टेस्ट के डेटा में 83 में से 46 लोगों के मोबाइल नंबर की जगह दस जीरो लिख दए गए. इसके अलावा जिले के एक और PHC जमुई सदर में 16 जनवरी को 150 लोगों के डेटा में से 73 के मोबाइल नंबर की जगह जीरो का इस्तेमाल किया गया.


आखिर जिम्मेदार कौन?


इंडियन एक्सप्रेस ने जमुई, शेखपुरा और पटना के छह पीएचसी में कोविड टेस्ट के 885 एंट्री की जांच की है. इस दौरान खुलासा हुआ कि जिन लोगों की रिपोर्ट निगेटिव आई है, उनमें से अधिकतर मरीजों का मोबाइल नंबर गलत लिखा गया है. इन सरकारी अस्पतालों से ये डेटा जिला मुख्यालय पटना भेजा जाता है.


जिला मुख्यालय में डेटा एंट्री स्टाफ ने जमीनी स्तर पर काम करने वाले PHC के कर्मचारियों को दोषी ठहराया है. उन्होंने दावा किया कि सिस्टम में डेटा अपलोड करते समय 10 अंकों का मोबाइल नंबर लिखना अनिवार्य होता है. PHC के कर्मचारी एंट्री सब्मिट करने के लिए मोबाइल नंबर के कॉलम में 10 जीरों भर देते हैं.


वहीं जमुई के एक वरिष्ठ जिला अधिकारी ने कहा, "अब जब नकली डेटा हमारे संज्ञान में आया है, तो हम पीएचसी स्तर पर इसकी जांच करेंगे. ये PHCs जमुई सदर जैसे शहरों में या इसके आस-पास हैं. यह विश्वास करना मुश्किल है कि कुछ लोगों के पास सेलफोन नहीं था. अगर व्यक्ति के पास सेलफोन नहीं है, तो सामान्य प्रोटोकॉल यह है कि टेस्ट पॉजिटिव होने पर हमें किसी रिश्तेदार या किसी करीबी का नंबर लेना होता है."


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