पटना: बिहार की कुढ़नी विधानसभा पर हुए उपचुनाव में बीजेपी के प्रत्याशी केदार प्रसाद गुप्ता (BJP Kedar Prasad Gupta) ने 3632 से वोट से जीत हासिल की है. केदार प्रसाद गुप्ता को कुल 76648 वोट मिले जबकि उनके निकट निकटतम प्रतिद्वंदी महागठबंधन से जेडीयू प्रत्याशी मनोज कुशवाहा (Manoj Kushwaha) को 73016 वोट मिले. अब ऐसे में सवाल ये उठता है कि सात पार्टियों के महागठबंधन के बाद बीजेपी की जीत कैसे हुई? आखिर महागठबंधन की हार का मुख्य वजह क्या है? कुढ़नी की सियासी पिच पर नीतीश कुमार (Nitish Kumar) का खिलाड़ी कैसे मात खा गया?


यहां जानिए 10 बड़ी बातें


बिहार में ज्यादातर मतदान जातीय समीकरण से होते हैं. कुढ़नी में भी जातीय समीकरण से ही केदार प्रसाद गुप्ता की जीत हुई है. केदार प्रसाद गुप्ता तो वैश्य समाज से आते हैं लेकिन उनको सवर्ण सहित दलित का भी वोट प्राप्त हुआ है.


जीत की दूसरी वजह यह भी है कि महागठबंधन अन्य जातियों का वोट लेने में पूरी तरह सफल नहीं हुआ. हालांकि आरजेडी का एमवाई समीकरण कामयाब रहा क्योंकि गोपालगंज उपचुनाव की तरह कुढ़नी में मुस्लिम वोट में ज्यादा बिखराव नहीं हुआ. एआईएमआईएम के मोहम्मद गुलाम मुर्तजा को 3202 मत ही मिले.


कुढ़नी में मुस्लिम, भूमिहार और साहनी का निर्णायक वोट माना जाता है. तीनों का वोट लगभग 40 हजार के आसपास है. चौथे नंबर पर यादव भी है जिनका वोटर 32000 के आसपास है. ऐसे में माना जा रहा है कि मुस्लिम वोट ज्यादातर महागठबंधन के पक्ष में गए हैं.


बीजेपी की जीत की एक और वजह मानी जा रही है कि चिराग पासवान ने रोड शो किया था. उसमें पासी समाज और पासवान समाज को कहा था कि यह दोनों जातियां एक ही हैं जिसके कारण दलित वोट बीजेपी के खाते में गया है और ऐसा लग रहा है कि चिराग पासवान कुढ़नी उपचुनाव में भी कामयाब हो गए. अभी के समय में पासी समाज के लोग मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से खफा हैं. ऐसा माना जा रहा है कि कुढ़नी में पासी समाज ने चिराग पासवान की बात को माना है.


बीजेपी की जीत की वजह साहनी समाज के वोट में बिखराव भी माना जा रहा है.


मुकेश सहनी ने वीआईपी से नीलाभ कुमार को टिकट दिया था. यहां साहनी समाज के लगभग 40,000 के आसपास वोटर हैं. इस उपचुनाव में दो साहनी से दो निर्दलीय भी मैदान में थे. इनमें संजय साहनी को 4250 मत प्राप्त हुए जबकि शेखर साहनी को 3716 मत प्राप्त हुए.


मुकेश सहनी की पार्टी वीआईपी भी इस चुनाव में ठीक-ठाक वोट लेकर आई है. वीआईपी से नीलाभ कुमार को 9988 मत प्राप्त हुए हैं. सभी को जोड़ा जाए तो 17954 वोट का बिखराव साहनी समाज से हुआ है.


पहले के आंकड़ों को देखा जाए तो 2020 में बीजेपी के केदार प्रसाद गुप्ता की मात्र 712 वोट से हार हुई थी. आरजेडी से अनिल साहनी की जीत हुई थी. उस वक्त मुकेश सहनी बीजेपी के साथ थे लेकिन साहनी समाज ने अपने स्वजातीय को वोट किया था, जिससे अनिल साहनी की जीत हुई थी.


हालांकि इस चुनाव में देखा जा रहा है कि बीजेपी के वोट में कमी आई है. 2015 के मुकाबले बीजेपी को आधे से भी कम वोट मिले हैं. 2015 में बीजेपी के केदार प्रसाद गुप्ता 11570 मतों से जीते थे. उस वक्त जेडीयू से उमेश कुशवाहा की हार हुई थी


इसका मुख्य वजह यह भी माना जा रहा है कि साहनी समाज का वोट बीजेपी को खाते में नहीं गया है जबकि भूमिहार समाज का वोट कुछ नीलाभ कुमार के कारण वीआईपी में चला गया है. मुकेश सहनी की पार्टी वीआईपी को 9988 वोट मिले हैं, वह सीधे-सीधे बीजेपी का वोट बैंक है जिसमें वीआईपी ने सेंधमारी की है. यही वजह माना जा रहा है कि बीजेपी की वोट में कमी आई है.


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