पटना. बिहार में नीतीश कुमार ने 7वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली है. नीतीश की बिहार की राजनीति में जयप्रकाश नारायण की अगुवाई में हुए छात्र आंदोलन की बहुत निर्णायक भूमिका रही है. इसी आंदोलन से लालू यादव, नीतीश कुमार, सुशील मोदी, रामविलास पासवान, शरद यादव, रविशंकर प्रसाद जैसे नेता आए और आज तक राजनीति में अपना दबदबा कायम रखे हुए है. नीतीश कुमार इनमें सबसे  आगे हैं. आइए जानते हैं नीतीश कुमार के आरंभिक जीवन से आज तक के सफर के बारे में.


नीतीश कुमार का जन्म 1 मार्च 1951 को बिहार के बख्तियारपुर में हुआ. उनके पिता कविराज राम लखन सिंह एक आयुर्वेदिक चिकित्सक थे वहीं उनकी मां परमेश्वरी देवी गृहणी थीं. नीतीश कुमार ने 1972 में एनआईटी पटना से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की. इसके बाद उन्होंने बिहार बिजली विभाग में आधे-अधूरे मन से नौकरी ज्वाइन की. लेकिन नीतीश कुमार छात्र राजनीति में बड़े चेहरे बन चुके थे. जल्द ही उन्होंने नौकरी छोड़कर पूरी तरह राजनीति के मैदान में कूद पड़े. नीतीश कुमार का विवाह मंजू सिन्हा से हुआ था. उनका एक बेटा निशांत भी है. 2007 में मंजू सिन्हा का देहांत हो गया था.


छात्र जीवन से शुरू हुआ राजनीतिक करियर


पटना यूनिवर्सिटी के दिनों में जयप्रकाश नारायण की अगुवाई में हुए छात्र आंदोलन में नीतीश कुमार का नाम पहली बार उभरा. समाजवादी धारा के नीतीश कुमार 1977 में एंटी कांग्रेस आंदोलन के दौरान पहली बार जनता पार्टी की टिकट से हरनौत से चुनाव लड़ा लेकिन जीत नहीं पाए. 1985 में हरनौत से नीतीश कुमार ने जीत दर्ज की और पहली बार विधायक बने. 1987 में नीतीश कुमार ने युवा लोक दल के अध्यक्ष का पद संभाला.


1989 में नीतीश कुमार पहली बार बाढ़ से सांसद बने. 1991 में दोबारा नीतीश कुमार दोबारा बाढ़ से सांसद चुने गए. नीतीश इसके बाद 1996 और 1998 में भी सांसद बने. अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में 1998 में नीतीश कुमार को केंद्रीय रेल मंत्री बनाया गया. हालांकि किशनगंज के पास हुए भीषण रेल दुर्घटना के बाद उन्होंने पद से इस्तीफा दे दिया था.  1999 में नीतीश कुमार 5वीं बार सासंद का चुनाव जीते. इस बार उन्हें केंद्र सरकार ने कृषि मंत्री बनाया. 2004 में छठी और आखिरी बार नीतीश कुमार सांसद बने.


मुख्यमंत्री के तौर पर नीतीश कुमार


बिहार के राज्यपाल फागू चौहान ने आज नीतीश कुमार को सातवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई. इससे पहले वो छह बार बिहार के सीएम रह चुके हैं. इस पूरे सिलसिले पर एक नजर डालते हैं.
पहली बार नीतीश कुमार 3 मार्च 2000 को बिहार के मुख्यमंत्री बने थे लेकिन बहुमत नहीं होने के कारण उनको 7 दिन बाद ही 10 मार्च को इस्तीफा देना पड़ा.


दूसरी बार नीतीश कुमार ने 2005 में बीजेपी के साथ सरकार बनाई. 24 नवंबर 2005 को उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और अपना कार्यकाल पूरा करते हुए 24 नवंबर 2010 तक मुख्यमंत्री रहे.


तीसरी बार नीतीश कुमार ने 26 नवंबर 2010 को मुख्यमंत्री बने. इन चुनावों में एनडीए ने प्रचंड बहुमत हासिल करते हुए 243 में से 206 सीटों पर जीत दर्ज की थी.


चौथी बार नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री बनने का वाकया बेहद नाटकीय रहा. 2014 में बीजेपी से अलग होकर राजद के साथ उन्होंने सरकार बनाई. लोकसभा चुनावों में खराब प्रदर्शन करने के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया था और जीतन राम मांझी को सीएम बनाया गया. लेकिन कुछ गलतफहमियों के कारण उन्हें हटा दिया गया. इसके बाद 22 फरवरी 2015 को नीतीश कुमार ने सीएम पद की शपथ ली और 19 नवंबर 2015 तक अपने पद पर बने रहे.


पांचवी बार नीतीश कुमार ने राजद के साथ चुनाव लड़े और जीत दर्ज की.
चुनाव में जीत के बाद 20 नवंबर 2015 को उन्होंने पांचवी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली.


छठी बार नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री बनने का घटनाक्रम उनके कार्यकाल में अब तक का सबसे नाटकीय घटनाक्रम था. राजद से मतभेद के बाद 26 जुलाई 2017 को उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. 27 जुलाई 2017 को उन्होंने बीजेपी के साथ मिलकर छठी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली.


सातवीं बार नीतीश कुमार ने 16 नवंबर 2020 को सातवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. इन चुनावों में जेडीयू पहली बार बीजेपी से कम सीटें जीतीं लेकिन मुख्यमंत्री पद पर नीतीश कुमार ही काबिज हुए.


CM नीतीश कुमार के ये फैसले साबित हुए ऐतिहासिक


नीतीश कुमार ने पंचायत चुनावों में महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण दिया. बिहार ऐसा करने वाला पूरे देश में पहला राज्य था. इस कदम को बेहद क्रांतिकारी माना गया. इसने महिलाओं की राजनीति में एंट्री आसान कर दी. इसी तरह नीतीश कुमार ने पूरे बिहार में शराबबंदी की घोषणा कर दी. इसे उन्होंने महिलाओं की मांग पर ही लागू किया. नीतीश कुमार के इस कदम को महिलाओं ने भारी मतदान  करके सही भी साबित किया है.