बिहार: कोसी नदी के तट पर मिले चंपा सभ्यता के साक्ष्य का आज सीएम नीतीश करेंगे निरीक्षण
कुछ इतिहासकारों की मानें तो यहां मिले पंच मार्क सिक्कों का चलन कभी मगध साम्राज्य में हुआ करता था. जबकि कुछ इतिहासकार चंपा सभ्यता के विकसित होने की बात कह रहे हैं. हालांकि, इन सब के बीच सीएम नीतीश आज सभी अवशेषों का अवलोकन करने पहुंच रहे हैं.
भागलपुर: बिहार के नवगछिया के बिहपुर के जयरामपुर गुवारीडीह बहियार में कोसी नदी के तट पर चंपा सभ्यता के विकसित होने के कुछ साक्ष्य मिले हैं. इस सभ्यता का विकास करीब ढाई से तीन हजार साल पूर्व माना जा रहा है. कोसी तट से हाथी का दांत, मिट्टी का लोटा, चंदन घिसने का पात्र, कलशनुमा पात्र सहित अन्य अवशेषों को बरामद किया गया है.
हालांकि, इस पर विभिन्न इतिहासकारों के बीच मतांतर है. कुछ इतिहासकारों की मानें तो यहां मिले पंच मार्क सिक्कों का चलन कभी मगध साम्राज्य में हुआ करता था. जबकि कुछ इतिहासकार चंपा सभ्यता के विकसित होने की बात कह रहे हैं. हालांकि, इन सब के बीच सीएम नीतीश आज सभी अवशेषों का अवलोकन करने पहुंच रहे हैं.
टीले की हो रही मापी और फोटोग्राफी
16 दिसंबर को पटना से पुरातत्व विभाग की दो सदस्य की टीम डॉ. हर्षरंजन के नेतृत्व में गुवारीडीह पहुंची है. टीम के दोनों सदस्य यहां मिले अवशेषों का अवलोकन और फोटोग्राफी कर रहे हैं. साथ ही स्थानीय लोगों से भी टीले के बारे में जानकारियां ले रहे हैं. टीम के सदस्यों ने भी बरामद सामग्रियों को तीन हजार साल पुराना बताया है. अब वे लोग अपनी रिपोर्ट मुख्यालय को सौपेंगे.
कटाव के बाद पुरातत्व स्थल आया सामने
बता दें कि कोसी की तेज कटाव के कारण गुवारीडीह टीला का कटाव पिछले कई सालों से हो रहा था. कुछ वर्ष पहले तक इस टीला का रकबा करीब 25 बीघे का हुआ करता था, जो अभी कटाव के कारण 17-18 बीघे का बचा है. इसी दौरान टीले से पुरातात्विक अवशेष बरामद किए गए हैं.
वहीं, 14 अप्रैल को गुवारीडीह टीले का निरीक्षण करने पहुंचे विधायक ई.शैलेंद्र ने इसके बारे में फोन कर मुख्यमंत्री को जानकारी दी थी. इस पर मुख्यमंत्री ने पुरातात्विक विभाग से जांच कराने की बात कही थी. साथ ही उन्होंने खुद भी आने की बात कही थी.
पुरातत्व स्थल को लेकर जयरामपुर के लोगों के बीच तरह-तरह की चर्चाएं हैं. पूर्व प्रमुख मनोज कुमार, महेश्वर सिंह निषाद, राजेश सिंह, पैक्स अध्यक्ष विकास कुमार समेत अन्य ने बताया कि यहां से बरामद सामग्रियों को इतिहासकार अस्थिकलश बता रहे हैं. पुरातत्व स्थल के पास से हिरण का चित्र अंकित किया हुआ मुहर भी मिला है.