पटना: बिहार की राजधानी पटना में शनिवार को वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के जरिए आयोजित ऊर्जा विभाग के 4,855 करोड़ की योजनाओं के उद्घाटन, लोकार्पण और शिलान्यास कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी ने कहा कि अगर घर-घर बिजली नहीं पहुंची होती तो कोरोना संकट के दौराने महीनों का लाॅकडाउन कभी सफल नहीं होता. लोग घरों में बंद रहने के बजाय सड़कों पर निकल आते. बिजली की वजह से ही लोग एसी, पंखा, टीवी चला कर घरों में इत्मीनान से रहे.


उन्होंने कहा, " 2005 के पहले बिहार की हालत अफ्रीकी देशों की तरह थी. ट्रांसफर्मर जलने पर महीनों उसे बदला नहीं जाता था, शहरों में जेनरेटर का शोर, जर्जर लटकते तार, लो वोल्टेज और चारो तरफ फैला अंधेरा ही बिहार की पहचान थी. पिछले 15 वर्षों में एनडीए की सरकार ने बिहार को अंधकार से निकाल कर प्रकाश की ओर और लालटेन से एलईडी के युग में पहुंचाया है."


उन्होंने कहा कि घर-घर बिजली पहुंचने के बाद सरकार किसानों को डीजल से खेती करने से मुक्ति दे रही है. अब तक 1 लाख 42 हजार किसानों को कृषि कनेक्शन दिया जा चुका है. डीजल से एक कट्ठे की सिंचाई में पहले जहां 20 रुपये खर्च होता था, वहीं अब बिजली से मात्र 82 पैसे की लागत आती है. प्रति यूनिट 6.25 रु. लागत वाली बिजली 5.50 रु. का अनुदान देकर सरकार किसानों को मात्र 65 पैसे प्रति यूनिट उपलब्ध करा रही है.


सुशील मोदी ने बताया, " पिछले 15 सालों में एनडीए की सरकार ने ऊर्जा प्रक्षेत्र पर 98,856 करोड़ रुपये खर्च करने के साथ ही उपभोक्ताओं को सस्ती बिजली देने के लिए 45,153 करोड़ अनुदान दिया है. 2005 में बिजली उपभोक्ता केवल 24 लाख थे, जिनसे हर महीने सिर्फ 65 करोड़ राजस्व का कलेक्शन होता था, जिनकी संख्या 2019-20 में बढ़ कर 1 करोड़ 61 लाख हो गई हैं और राजस्व कलेक्शन बढ़कर हर महीने 715 करोड़ हो गया है.