Bihar Congress: बिहार कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अनिल शर्मा (Anil Sharma) ने रविवार को पार्टी से इस्तीफा दे दिया. पार्टी में अपनी अनदेखी से नाराज थे. बिहार कांग्रेस में हाशिए पर थे. लंबे समय से संगठन में कोई बड़ा पद भी मिला नहीं था. महागठबंधन में रहते हुए जातीय गणना के आंकडों पर सवाल उठाये थे. वहीं, इस्तीफे देने के बाद उन्होंने कहा कि 1998 में जब से आरजेडी का कांग्रेस से गठबंधन हुआ था मैं इस गठबंधन का विरोधी रहा हूं. आरजेडी के साथ कांग्रेस का गठबंधन आत्मघाती है. लालू के कारण कांग्रेस बिहार में वोट कटवा पार्टी बनके रह गई है.
अनिल शर्मा ने उठाए कई सवाल
अनिल शर्मा ने कहा कि बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष रहते मैं पप्पू यादव का विरोध करता था. वह कांग्रेस में शामिल हो गए हैं. उनका महिमामंडन नहीं कर सकता. मेरे पार्टी छोड़ने का यह भी एक कारण है. सोनिया गांधी और राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस कमजोर हुई. अध्यादेश फाड़ने वाले राहुल गांधी आज लालू के साथ गलबहियां लगा रहे मटन भात खा रहें हैं.
आज दिल्ली में 'इंडिया' गठबंधन की संविधान बचाओ रैली है, लेकिन सोनिया गांधी के कांग्रेस को टेक ओवर करने के बाद आंतरिक संविधान पार्टी में खत्म हो गया है. मल्लिकार्जुन खरगे एक बेचारा अध्यक्ष हैं. उनकी नहीं चलती वो रिमोट कैट्रोल से कंट्रोल हो रहे हैं.
आरजेडी पर बोला हमला
पूर्व कांग्रेस नेता ने कहा कि जब तक दिल्ली में राहुल, सोनिया और बिहार में लालू तेजस्वी रहेंगे तब तक आरजेडी और कांग्रेस का गठबंधन बना रहेगा. अगर लोकसभा में महागठबंधन को 4 से 5 सीटें भी आ गई तो तेजस्वी का जंगल राज आ जाएगा. राम लला के प्राण प्रतिष्ठा का आमंत्रण ठुकराना सोनिया गांधी का कदम सांप्रदायिक है.
बता दें कि 2020 बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 70 सीटों पर लड़ी थी जिस तरह से टिकट वितरण हुआ था उस पर भी अनिल शर्मा ने प्रश्न चिन्ह खड़ा किया था. कई मुद्दे पर कई बार पार्टी लाइन से अलग जाकर बयानबाजी की थी. अनिल शर्मा भूमिहार समाज से आते हैं. 2009 मई में बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष बने थे. करीब साढ़े तीन साल तक अध्यक्ष रहे.
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