पटना: बिहार कांग्रेस के प्रभारी भक्त चरण दास राज्य में कांग्रेस की खोई जमीन वापस करने के लिए बिहार की जमीन मापेंगे और राज्य भर में 'किसान सत्याग्रह यात्रा' करेंगे. हालांकि इन्हें कई स्थानों पर 'अपनों' के ही विरोध का समाना करना पड़ सकता है. एक बार फिर दास बिहार के विभिन्न जिलों में 'किसान सत्याग्रह यात्रा' के लिए आठ दिनों की यात्रा पर पटना पहुंच रहे हैं.
इस चरण में दास अपनी यात्रा की शुरूआत 20 फरवरी को बेगूसराय से करेंगे, इसी दिन वो खगड़िया भी पहुंचेंगे. इसके बाद वे 21 फरवरी को सहरसा और मधेपुरा, 22 फरवरी को सुपौल और अररिया, 23 फरवरी को किशनगंज और पूर्णिया, 24 फरवरी को कटिहार और भागलपुर जाएंगें. इसके बाद दास 25 फरवरी को भागलपुर और बांका जिला, 26 फरवरी को जमुई और मुंगेर, 27 फरवरी को लखीसराय, शेखपुरा और नवादा जिलों का दौरा कर 27 फरवरी को देर रात्रि पटना वापस लौटेंगे.
दास की इस यात्रा में भी विरोध देखने को मिलेगा, इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता. कांग्रेस के सूत्रों का कहना है कि किसानों के समर्थन के बहाने संगठन को मजबूत करने वाली अपनी इस यात्रा के दौरान दास को मधेपुरा, सहरसा, लखीसराय और बेगूसराय में नेता-कार्यकर्ता खासे नाराज हैं. नाराजगी का कारण विधानसभा चुनाव में टिकटों के बंटवारे को लेकर बताया जा रहा है.
कांग्रेस के नेता कुछ खास नहीं बोल रहे हैं
कांग्रेस नेताओं ने नाम नहीं प्रकाशित करने की शर्त पर खुलकर कहा कि कि सहरसा से लवली आनंद को टिकट दे दिया गया, जो कुछ ही दिन पहले कांग्रेस में आई थी और इस सीट पर आनंद को हार का मुंह देखना पड़ा. बेगूसराय में बछवाड़ा सीट सालों से कांग्रेस जीतती रही है लेकिन चुनाव में पार्टी ने बंटवारे में सीट वामदल को दे दी, जिससे यहां पार्टी के कार्यकर्ताओं में नाराजगी है. मधेपुरा से पार्टी ने किसी जमीनी नेता को सीट देने के बजाय ऊपर से शरद यादव की पुत्री सुभाषिनी को टिकट दे दिया. कहा जा रहा है कि सुभाषिनी की हार का कारण भी पार्टी कार्यकर्ताओं की नाराजगी है.
लखीसराय में भी कुछ दिन पहले ही कांग्रेस में आए अमरेश कुमार अनीश को टिकट दे दिया गया था. इन सीटों पर जमीनी स्तर पर कार्य करने वाले कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं की उपेक्षा किए जाने से कार्यकर्ता नाराज हैं. कहा जा रहा है कि प्रदेश नेतृत्व और प्रभारी के सामने ये कार्यकर्ता अपनी भड़ास निकालने के मूड में हैं. कांग्रेस के सूत्रों का कहना है कि पार्टी में कई स्थानों पर गुटबाजी भी प्रभारी को देखने को मिलेगी, जिससे भी हंगामा होने के आसार व्यक्त किए जा रह हैं. बहरहाल, इसको लेकर कांग्रेस के नेता कुछ खास नहीं बोल रहे हैं. लेकिन इतना तय है कि दास के इस बिहार दौरे में भी पूर्व की भांति विरोध और हंगामा देखने को मिलेगा. अब देखना होगा दास अपने ही दल के नेताओं की गलतियों को लेकर हो रहे विरोध को कैसे शांत करा पाते हैं.
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