कैमूर: बिहार के कैमूर जिले में कोरोना संक्रमण बड़ी तेजी से पांव पसार रहा है. नए मरीज मिलने और संक्रमण से लोगों के मरने का सिलसिला जारी है. कोरोना के प्रकोप के बीच आज से जिला भर के संविदा स्वास्थ्यकर्मी काली पट्टी बांधकर काम करेंगे. वहीं, अगर 11 मई तक सरकार स्वास्थ्यकर्मियों की मांग नहीं मानती है, तो उन्होंने कार्य बहिष्कार कर होम क्वारंटाइन होने की चेतावनी दी है.
सरकार संविदा स्वास्थ्यकर्मियों के साथ कर रही भेदभाव
इस संबंध में जानकारी देते हुए संविदा स्वास्थ्यकर्मी के जिलाध्यक्ष रूपक सिंह ने बताया कि उन्होंने पहले ही सरकार को उनकी मांगों से अवगत कराया था. लेकिन सरकार ने इस ओर ध्यान नहीं दिया. सरकार दोहरी नीति अपनाती है. रेगुलर स्वास्थ्यकर्मियों की कोरोना काल में मौत के बाद उनके आश्रित को नौकरी देने की मुख्यमंत्री ने घोषणा की है. लेकिन संविदा कर्मियों के लिए ऐसा कुछ नहीं है.
रूपक सिंह ने कहा, " हम सभी संविदा कर्मी दिन रात कोरोना काल में अपनी जान जोखिम में डालकर सेवा दे रहे हैं. लेकिन सरकार हम पर बिल्कुल ध्यान नहीं दे रही है. अगर काम के दौरान हमारी मौत हो जाती है, तो सरकार कोई लाभ नहीं देगी. इसी बात के विरोध में हम आज से काला बिल्ला लगाकर काम करेंगे. 11 मई तक अगर सरकार नहीं मानी तो 12 मई से हम होम आइसोलेट हो जाएंगे. जरूरत पड़ी तो नौकरी छोड़कर समाज सेवा करेंगे."
संविदा कर्मियों ने बताई अपनी परेशानी
इधर, संविदा कर्मी सुधीर कुमार ने बताया कि कैमूर में सौ की संख्या में संविदा कर्मी कार्यरत हैं, इसके बावजूद उन्हें धमकी मिलती है. सरकार केवल उनलोगों से काम ले रही है, उनके बारे में नहीं सोच रही. वहीं, डाटा ऑपरेटर मीनाज खातून ने कहा कि सरकार उनसे स्वास्थ्य कर्मी के तौर पर काम कराती है, लेकिन जैसे ही सरकार की काम खत्म हो जाता है, वो उनलोगों नौकरी से निकालने की बात करती है. ऐसे में उनकी मांग है कि सरकार उनके साथ दोहरी नीति ना अपनाए. कोरोना काल में उन्हें भी रेगुलर स्वास्थ्यकर्मियों की तरह लाभ दे.
यह भी पढ़ें -
नीतीश कुमार के मंत्री ने तेजस्वी पर कसा तंज, कहा- ट्विटर से नहीं चलता काम, पहले पटना वापस आएं
बिहार: तीन मजिस्ट्रेट के खिलाफ FIR दर्ज, कोरोना काल में ड्यूटी से गायब रहने के आरोप में हुई कार्रवाई