बिहार: फर्श पर लेट कर इलाज कराने को मजबूर कोरोना मरीज, कहा- 'डॉक्टर पूछने तक नहीं आते'
गुरुआ के पूर्व विधायक मो. खान अली ने बताया कि अस्पताल में मरीजों को देखने तो दूर, पूछने वाला भी कोई नहीं है. फर्श पर लेटे कोरोना संक्रमित मरीजों के परिजन खुद मरीज की सेवा में जुटे हुए हैं. ऐसे में उनके भी कोरोना संक्रमित होने की संभावना बढ़ गई है.
गया: बिहार के गया जिले के अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल को मगध क्षेत्र के पांच जिलों के लिए कोविड डेडिकेटेड अस्पताल बनाया गया है. लेकिन अस्पताल में व्यवस्था इतनी बुरी है कि मरीज अस्पताल आ कर लौट जा रहे हैं. वहीं, जो भर्ती हो रहे हैं, वो भगवान भरोसे हैं. कोविड डेडिकेटेड अस्पताल की ऐसी दुर्दशा है, जिसे देख कर सरकारी दावों पर सवाल उठना लाजमी है.
फर्श पर लेटा कर किया जा रहा इलाज
बता दें कि अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल के मदर चाइल्ड हॉस्पिटल बिल्डिंग के सभी तल्ले पर कोरोना संक्रमित और संदिग्ध मरीजों को भर्ती किया गया है. लेकिन बिल्डिंग के नीचे फ्लू रजिस्ट्रेशन काउंटर के पास करीब 12 मरीजों को फर्श पर लेटा कर इलाज किया जा रहा है. फर्श पर लेटे मरीज को ही ऑक्सीजन लगाया गया है. इन मरीजों में से कुछ मरीज कोरोना संक्रमित हैं. जबकि कुछ संदिग्ध हैं और कोरोना जांच रिपोर्ट के इंतेजार में हैं.
मरीजों को देखने वाला कोई नहीं
इस संबंध में गुरुआ के पूर्व विधायक मो. खान अली ने बताया कि यहां मरीजों को देखने तो दूर, पूछने वाला भी कोई नहीं है. फर्श पर लेटे कोरोना संक्रमित मरीजों के परिजन खुद मरीज की सेवा में जुटे हुए हैं. ऐसे में उनके भी कोरोना संक्रमित होने की संभावना बढ़ गई है. वहीं, संक्रमित मरीज के परिजनों ने बताया कि कल देर रात वे अस्पताल पहुंचे. काफी हंगामा करने के बाद डॉक्टर ने किसी स्वास्थ्यकर्मी को भेजा, जो ऑक्सीजन लगाकर चला गया. यहां मरीजों को पूछने वाला कोई नहीं है.
मालूम हो कि कि वर्तमान में एएनएमएमसीएच में 197 बेड हैं, जिसमें से 115 बेड पर कोरोना संक्रमित और शेष संदिग्ध मरीज इलाजरत हैं. अब तक जिले में 117 लोगों की कोरोना से मौत हो चुकी है. वहीं, कोरोना के एक्टिव मरीजों की संख्या 8,328 है.
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