दरभंगा: बिहार के दरभंगा जिले के जाले प्रखंड के कुम्हरौली गांव के लोगों ने गांव में बाहरी लोगों की एंट्री पर रोक लगा दी है. ग्रामीणों ने गांव के प्रवेश द्वार पर बांस की बैरिकेडिंग लगाकर रास्ते को सील कर दिया है. वहीं, पोस्टर लगाकर ये चेतावनी भी दी है कि कोई भी बाहरी आदमी गांव में प्रवेश ना करे. दरअसल, कोरोना की दूसरी लहर में 10 हजार की आबादी वाले इस गांव में अब तक कोरोना के लक्षण वाले 40 लोगों की मौत हो गई है. इतने लोगों की मौत के बाद ग्रामीण सहम गए हैं, इसलिए उन्होंने गांव के बॉर्डर को सील कर दिया है.
200 लोग अब भी बीमार
मुखिया की मानें तो गांव में मौजूदा समय में 10 लोग ऑक्सीजन के सहारे जिंदगी के लिए संघर्ष कर रहे हैं. वहीं, लगभग 200 लोग सर्दी, खांसी, बुखार आदि जैसी बीमारियों से पीड़ित हैं और होम आइसोलेशन में हैं. इसी बात को ध्यान में रखकर मुखिया के सहयोग से लोगों ने गांव के प्रवेश द्वार को सील कर दिया है. वहीं, कोई बेवजह गांव में ना आए इसकी निगरानी करने के लिए चार टीम बनाई गई है, जो बारी-बारी से बैरिकेडिंग के पास बैठकर बाहर से आने वाले लोगों को गांव में घुसने से रोकती है.
मुखिया ने अनदेखी का लगाया आरोप
पंचायत के मुखिया वली अहमद और मुखिया प्रतिनिधि वसी अहमद चुन्ना ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग की ओर से गांव में अभी तक कोई पहल नहीं की गई है. ना किसी का कोरोना टेस्ट हुआ और ना ही वैक्सीनेशन. कई बार चिकित्सा पदाधिकारियों से गुहार लगाई गई, लेकिन सभी ने अनसुना कर दिया. ऐसे में हमने खुद बचाव के रास्ते अपना कर संक्रमण को नियंत्रित करने की पहल की है. गांव में सभी मांगलिक कार्यों को स्थगित कर दिया गया है, ताकि भीड़-भाड़ ना लगे.
चिकित्सा पदाधिकारी ने कही ये बात
इस संबंध में जब जाले रेफरल अस्पताल के चिकित्सा पदाधिकारी गंगेश झा से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि मुखिया ने ये बात हमारे संज्ञान में नहीं दी है. कई बार टीम को उस इलाके में भेजा गया है, लेकिन लोग जांच नहीं कराते हैं. ऐसे में विभाग क्या कर सकता है. वैक्सीनेशन के लिए भी टीम भेजी गई, लेकिन लोग वैक्सीन लेना ही नहीं चाहते. चूंकि मुखिया का कहना है कि संज्ञान नहीं लिया गया है, ऐसे में फिर एक बार मेडिकल टीम गांव जाकर जांच करेगी.
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