नालंदा: परीक्षा में अच्छे अंक लाने पर माता-पिता या अन्य परिजन बच्चों को इनाम देते हैं. ये आम बात है. लेकिन बिहार में चौंकाने वाला मामला सामने आया है. मामला सूबे के नालंदा जिले का है, जहां किशोर न्याय परिषद के प्रधान दंडाधिकारी ने मैट्रिक में अच्छे अंक लाने पर किशोर को अनोखा इनाम दिया है. अनोखे फैसलों की वजह से अक्सर सुर्खियों में रहते वाले प्रधान दंडाधिकारी मानवेंद्र मिश्र ने मंगलवार को एक और अनोखा फैसला सुनाया.


किशोर ने जज से किया था वादा


बिहार बोर्ड मैट्रिक की परीक्षा में किशोर के अच्छे प्रदर्शन के बाद जज ने न सिर्फ उसे बरी किया, बल्कि उसकी पढ़ाई का खर्च उठाने का भी जिम्मा लिया है. जज के मुताबिक वे किशोर के इंटर की पढ़ाई का पूरा खर्च उठाएंगे. बता दें कि किशोर मारपीट मामले में आरोपित था. पढ़ाई को लेकर कोर्ट ने उसे जमानत दी थी. उसने वादा किया था, वो मैट्रिक की परीक्षा अच्छे अंक लाएगा. उसने अपना वादा पूरा किया, जिसके बाद इनाम स्वरूप कोर्ट ने उसे बरी कर दिया. 


बरी करने के साथ-साथ जज ने जिला बाल संरक्षण इकाई को पश्चातवर्ती देखभाल योजना का बच्चे को लाभ दिलाने और परिजनों को सरकारी सहायता पहुंचाने के लिए संबंधित बीडीओ को आदेश दिया है. मिली जानकारी अनुसार आरोपित किशोर महादलित परिवार से है. उसकी सात बहनें और दो भाई हैं. पिता विक्षिप्त हैं और मां अक्सर बीमार रहती हैं. घर की माली हालत खराब है.


घर की स्थिति की वजह से किशोर ने कोर्ट में आवेदन देकर आगे की पढ़ाई करने की इच्छा जाहिर की थी. इसके मद्देनजर जज ने दीपनगर थाना से उसके परिवार से संबधित सारी रिपोर्ट मंगवाई. छात्र की कही बातें सही पाने पर उन्होंने बालक को बरी करते हुए इंटर की पढ़ाई का खर्च खुद उठाने का जिम्मा लिया.


क्या है पूरा मामला?


इस संबंध में सहायक अभियोजन पदाधिकारी जयप्रकाश ने बताया कि 27 मई, 2019 को जिले के दीपनगर थाना क्षेत्र के एक गांव में नाली विवाद को लेकर दो पक्षों के बीच मारपीट हुई थी. इस मामले में सूचक भगीरथ प्रसाद ने आरोपित दो भाइयों के अलावा 35 लोगों पर एफआईआर कराई थी. इनमें दोनों आरोपित घटनास्थल पर मौजूद थे, जिन्हें पुलिस ने गिरफ्तार कर वयस्क बताते हुए जेल भेज दिया था.


साल 2019 में जब मामला किशोर न्याय परिषद के समक्ष आया, तो पूछताछ के दौरान किशोर ने जज मानवेंद्र मिश्र से आगे की पढ़ाई के लिए जमानत देने की अर्जी दी. उस वक्त किशोर ने कोर्ट के समक्ष मैट्रिक परीक्षा में अच्छे अंक लाने का वादा किया था. बच्चे ने कहा था कि अच्छा अंक नहीं लाने पर जमानत रद्द करते हुए उसे कोर्ट का हर फैसला स्वीकार होगा.


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