औरंगाबाद: बिहार के औरंगाबाद जिले के सदर अस्पताल परिसर में मंगलवार को हाई वोल्टेज ड्रामा चला. शहर के करमा रोड स्थित बिजली कॉलोनी निवासी पुजारी सुधीर कुमार मिश्रा के शव को अस्पताल में छोड़कर उसके साढ़ू और उनके साथ रहे परिजन भाग गए. इधर, मृतक के परिजनों को जब इसकी सूचना मिली तो वे आनन फानन सदर अस्पताल पहुंचे. पहुंच कर उन्होंने देखा कि स्ट्रेचर पर सुधीर की लाश पड़ी हुई है.


फोन पर दी थी सूचना


मृतक के चाचा संतोष ने बताया कि उनका भतीजा दो दिनों पहले अपने साढ़ू के घर बारुण के पिपरा गया था. लेकिन मंगलवार को उसकी लाश मिली. उन्होंने बताया कि सोमवार की रात 10 बजे मृतक के सरहज ने सूचना दी थी कि सुधीर की तबीयत खराब है. लेकिन उसका इलाज करवाया गया है और अभी वो ठीक है. उसके बाद उसने अपना मोबाइल स्विच ऑफ कर लिया. ऐसे में उस नंबर पर कोई बात नहीं हो सकी.


संतोष की मानें तो लगातार कॉल करने के बाद भी सुबह तक मोबाइल स्विच ऑफ आया. इसी दौरान एक अन्य नंबर से सुबह पांच बजे यह जानकारी दी गई कि सुधीर की तबीयत खराब है, जाकर सदर अस्पताल में देख लें. सूचना मिलने के बाद जब परिजन सदर अस्पताल पहुंचे तो देखा कि सुधीर की डेड बॉडी पड़ी हुई है और उसके ससुराल पक्ष के लोग गायब हैं. 


ऐसे में परिजनों ने पूरे मामले में हत्या का आरोप लगाते हुए कार्रवाई की मांग की है. इधर, अस्पताल के सीसीटीवी फुटेज के जरिए पूरे मामले का पुलिस ने खुलासा कर लिया है. परिजनों के साथ जब पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज का अवलोकन किया तो पाया कि यह खेल सोमवार की रात दस बजकर 56 मिनट पर शुरू हुई और 11 बजे तक खत्म हो गई. 


सीसीटीवी फुटेज ने खोला राज


सीसीटीवी फुटेज में पुलिस ने पाया कि मृतक सुधीर के साढ़ू और एक व्यक्ति जो शहर का ही रहने वाला है के द्वारा एक ओम्नी कार में डेड बॉडी लाई जाती है और फिर उसे वे अस्पताल के ही सीढ़ी के नीचे छोड़कर चले जाते हैं. पुलिस ने मृतक के परिजनों से पूछताछ कर सब का नाम और पता को नोट कर लिया है. वहीं, आगे की कार्रवाई में जुट गई है.


मृतक के चाचा संतोष ने बताया कि जब उन्हें सुबह 5 बजे यह सूचना मिली कि उनके भतीजे सुधीर की तबीयत खराब है और वो सदर अस्पताल में भर्ती है तब वे अपने परिवार के साथ भागे-भागे अस्पताल पहुंचे और वहां कार्यरत चिकित्सक से सुधीर के बारे में पूछा तो उन्होंने ऐसे किसी भी मरीज को देखे जाने से इनकार किया. हालांकि जब इसकी पड़ताल शुरू की गई तो यह पाया गया कि उसी चिकित्सक ने शव को स्ट्रेचर पर सीढ़ी के नीचे रखे जाने के बाद रात्रि के 11:18 इलाज किया था और 11:20 पर मृत भी घोषित कर दिया था. परिजनों को यह आशंका है कि इस मामले में चिकित्सक की भी मिलीभगत है.



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