सुपौल: कोरोना संकट के बीच बिहार के कई जिलों में बाजार से जीवन रक्षक दवाइयों के गायब होने का मामला प्रकाश में आ रहा है. दवा की कालाबाजारी का खेल शुरू हो गया, जिस वजह से आम लोगों को काफी परेशानी हो रही है. ऐसे में दवा की निर्बाध उपलब्धता और जमाखोरी पर लगाम लगाने के लिए सुपौल सिविल सर्जन ने जिले के सभी दवा दुकानदारों के साथ गुरुवार को बैठक की. बैठक में अनुमंडल पदाधिकारी मनीष कुमार भी उपस्थित रहे. 


प्रिस्क्रिप्शन देखकर बचें दवा


इस दौरान दवा दुकानदारों से दवा के संबंध में आवश्यक जानकारी ली गई और कई दिशानिर्देश दिए गए. बैठक के बाद अनुमंडल पदाधिकारी ने बताया कि ऐसी अफवाह आ रही थी कि बाजारों में कोविड से बचाव करने वाली दवाइयों की कमी हो गई है, लेकिन ऐसा नहीं है. बैठक कर सभी को निर्देश दिया गया है कि कोविड से संबंधित जो भी दवाएं हैं, वह उन्हें रजिस्टर्ड प्रैक्टिशनर के प्रिस्क्रिप्शन के आधार पर ही बेचें.


दवा स्टोर करने की बढ़ गई है टेंडेंसी 


उन्होंने कहा कि ऐसी जानकारी मिली है कि लोगों में दवा स्टोर करने की टेंडेंसी बढ़ गई. ऐसी टेंडेंसी पर लगाम लगाने के लिए कहा गया है. दवा की समस्या नहीं है. दवा पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं. बैठक से पहले अनुमंडल पदाधिकारी और सीएस अस्पताल के दवा स्टोर गए और आवश्यक दवा की जानकारी ली. वहीं, कुछ देर बाद सिविल सर्जन कार्यालय में बनाए गए कोविड कंट्रोल रूम का जिलाधिकारी ने निरीक्षण किया.


निरीक्षण के दौरान उन्होंने आवश्यक जानकारी हासिल की और कई निर्देश दिए. निरीक्षण के बाद उन्होंने बताया कि कल बैठक हुई है. सभी प्रखंड में दवा उपलब्ध है. एक-दो दवा है, जिसकी कमी है. ऐसे में लोकल स्तर पर दवा खरीदने का निर्देश दिया गया है. दवा की कोई कमी नहीं रहेगी. 


सुपौल सदर अस्पताल में लगने वाले वेंटिलेटर के संबंध में उन्होंने कहा कि पाइप लाइन का काम नहीं हुआ है. एक वेंडर से बात की गई है. सामान बाहर से आना है. सात-आठ दिन में सामान आने की हम उम्मीद कर सकते हैं.


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