सुपौल: बिहार स्वास्थ्य विभाग अपने लापरवाह रवैये की वजह से अक्सर सुर्खियों में रहता है. कभी मरीजों के इलाज में लापरवाही तो कभी विभागीय दायित्वों की पूर्ति में गड़बड़ी, स्वास्थ्यकर्मी और पदाधिकारी सुधरने को तैयार नहीं हैं. ताजा मामला बिहार के सुपौल जिले के त्रिवेणीगंज अनुमंडलीय अस्पताल का है, जहां प्रभारी उपाधीक्षक के बदले अन्य कर्मी प्रभारी उपाधीक्षक का हस्ताक्षर कर सिविल सर्जन को रिपोर्ट सौंपते हैं. मामले का खुलासा तब हुआ जब 1 जून, 2021 को सिविल सर्जन ने प्रभारी उपाधीक्षक से इस संबंध में स्पष्टीकरण की मांग की.
क्या है पूरा मामला?
कोरोना काल में रोज सूबे के सभी अस्पतालों को कोविड-19 से संबंधित रिपोर्ट विभाग को सौंपना पड़ता है. इसी क्रम में 31 मई, 2021 को पत्रांक 416 के माध्यम से अनुमंडलीय अस्पताल त्रिवेणीगंज द्वारा एक रिपोर्ट सिविल सर्जन को सौंपी गई, जिसमें सिविल सर्जन सुपौल को बताया गया कि जदिया वार्ड नम्बर-5 निवासी 31 वर्षीय सुरेश कुमार झा का नीजि अस्पताल में 25 मई को कोरोना जांच किया गया. रिपोर्ट पॉजिटिव आई और इलाज के दौरान 27 मई उनकी मौत हो गई.
कहां किया गया फर्जी हस्ताक्षर?
बता दें कि 31 मई, 2021 को जो रिपोर्ट पत्रांक-416 के माध्यम से सिविल सर्जन सुपौल को सौंपी गई, उस रिपोर्ट पर नियमानुसार प्रभारी उपाधीक्षक अनुमंडलीय अस्पताल त्रिवेणीगंज का हस्ताक्षर होना चाहिए था. लेकिन प्रभारी उपाधीक्षक का हस्ताक्षर न होकर उस रिपोर्ट पर एक अन्य अनाधिकृत व्यक्ति द्वारा हस्ताक्षर कर रिपोर्ट सौंप दी गई.
सीएस ने जारी किया कारण बताओ नोटिस
इस मामले में संज्ञान लेते हुए डॉ. ज्ञानशंकर सिविल सर्जन सुपौल ने अनुमंडलीय अस्पताल त्रिवेणीगंज के प्रभारी उपाधीक्षक डॉ. बिरेन्द्र दरबे से स्पष्टीकरण की मांग की है. सीएस ने प्रभारी उपाधीक्षक से स्पष्टीकरण में पूछा है कि उनके कार्यलय की ओर से जारी उक्त पत्र पर किसके द्वारा हस्ताक्षर किया गया है. इस मामले में अनुमंडलीय अस्पताल के प्रभारी उपाधीक्षक डॉ. बिरेन्द्र दरबे से भी बात करने की कोशिश की गई, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया.
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