आरा: बिहार के भोजपुर जिले में हत्या के एक मामले में सुनवाई करते हुए प्रथम अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह विशेष न्यायाधीश हर्षित सिंह ने गुरुवार को आरोपी लड़की के पिता अनिल कुमार यादव और उसके दो भाई धनजी यादव और जितेन्द्र कुमार यादव को सश्रम उम्रकैद और 65-65 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई. अभियोजन की ओर से विशेष लोक अभियोजक सत्येन्द्र सिंह दारा ने बहस किया था.


परिजनों ने दर्ज कराई थी शिकायत


उन्होंने बताया कि आयर थाना क्षेत्र निवासी पिन्टू बैठा ने थाने में 14/20 प्राथमिकी दर्ज कराई थी, जिसमें कहा गया था कि बीते साल वैलेंटाइन-डे को उसका बेटा अंकित कुमार मोबाइल लेकर शौच के लिए गया था, फिर वापस नहीं आया. अज्ञात के खिलाफ थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी, जिसके बाद पुलिस ने जांच शुरू की थी. जांच के क्रम में पुलिस को अंकित के मोबाइल के सीडीआर से अहम सुराग मिले, जिसके आधार पर पुलिस ने अंकित की प्रेमिका के पिता अनिल कुमार यादव और चाचा धनजी यादव को हिरासत में लिया और पूछताछ शुरू कर दी.


पूछताछ के दौरान दोनों ने पूरे मामले का खुलासा कर दिया और पुलिस ने दोनों की निशानदेही पर अंकित के बोरे में बंद शव को बलिगांव गांव के पास ही नहर से बरामद कर लिया था. पुलिस ने अनुसंधान के दौरान उस लड़की समेत सात को अभियुक्त बनाया था. विशेष लोक अभियोजक ने बताया कि मृतक स्कूल में नौवीं कक्षा में पढ़ता था और उसकी उम्र लगभग 15 वर्ष थी. उसी स्कूल में लड़की भी पढ़ती थी. इस दौरान दोनों में प्रेम हो गया था.


एक ही स्कूल में पढ़ते थे दोनों 


दरअसल, आयर थाना के बलिगांव निवासी पिंटू बैठा के 15 वर्षीय बेटे अंकित कुमार का उसके स्कूल के ही एक छात्रा के साथ प्रेम प्रसंग चल रहा था. बताया जाता है कि अंकित वैलेंटाइन डे के मौके पर अपनी प्रेमिका से मिलने गया था. इसी दौरान दोनों को प्रेमिका के पिता ने देख लिया. लड़की के पिता को यह बात नागवार गुजरी और उसने लड़की से फोन करवा कर अंकित को किसी सुनसान जगह पर बुलाया और फिर अपने भाइयों के साथ मिलकर पहले उसकी जमकर पिटाई की. इसके बाद गला घोंटकर हत्या करने के बाद शव को बोरे में बंद कर नहर में फेंक दिया.


आगे विशेष लोक अभियोजक ने बताया कि अभियोजन की ओर से 8 गवाहों की गवाही कोर्ट में हुई थी. कोर्ट ने 13 सितम्बर को तीन आरोपियों को दोषी पाया था. जबकि संदेह का लाभ देते हुए तीन आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया था. वहीं, लड़की को नाबालिग होने के कारण जुबेनाइल बोर्ड में भेज दिया गया था. कोर्ट में 25 सितम्बर को सजा के बिंदु पर बहस हुई थी. कोर्ट ने 30 सितम्बर को आरोपी अनिल कुमार यादव, धनजी यादव व जितेन्द्र कुमार यादव को दोषी पाते हुए भादवि की धारा 302/34, 201/34 तथा एससी एसटी की धारा 3(2)(v) के तहत सश्रम आजीवन कारावास और 25 हजार अर्थदंड, तीन वर्ष के सश्रम कैद और 15 हजार रुपया अर्थदंड तथा सश्रम आजीवन कारावास व 25 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई. सभी सजाए साथ साथ चलेगी.



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