Maha Shivratri 2022: 54 फीट लंबा कांवर लेकर भोलेनाथ के दरबार में पहुंचे श्रद्धालु, जलाभिषेक कर लगाए जयकारे
एसपी ने बताया कि बाबा ब्रह्मेश्वर नाथ धाम में काफी संख्या में श्रद्धालु आते हैं. ऐसे में दुरुस्त व्यवस्था की गई है. डॉक्टरों की टीम की भी नियुक्ति की गई है, ताकि लोगों को परेशानी का सामना न करना पड़े.
![Maha Shivratri 2022: 54 फीट लंबा कांवर लेकर भोलेनाथ के दरबार में पहुंचे श्रद्धालु, जलाभिषेक कर लगाए जयकारे Bihar: Devotees reached the court of Bholenath with 54 feet tall kanwar, chanted Jalabhishek ann Maha Shivratri 2022: 54 फीट लंबा कांवर लेकर भोलेनाथ के दरबार में पहुंचे श्रद्धालु, जलाभिषेक कर लगाए जयकारे](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2022/03/01/16be4a56645c201f3b9a7494f8fe6dbd_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
बक्सर: देशभर में महाशिवरात्रि की धूम है. शिवालयों में भक्तों का जनसैलाब उमड़ पड़ा है. बीते दो सालों से कोरोना की वजह से लागू पाबंदियों को लेकर भक्त मंदिर नहीं जा पा रहे थे. ऐसे में इस साल पाबंदियों के नहीं होने की वजह से श्रद्धालु सैकड़ों की संख्या में शिवालय पहुंच कर भोलेनाथ की आराधना कर रहे हैं. इसी क्रम में बिहार के बक्सर जिले में शिव भक्तों की अनोखी तस्वीर सामने आई है. यहां भक्त 54 फीट लंबा कांवड़ लेकर बाबा ब्रह्मेश्वर नाथ धाम पहुंचे और जलाभिषेक किया.
400 लोग लेकर पहुंचे कांवड़
बता दें कि जिले के रामरेखा घाट से 54 फीट लंबे कांवड़ में जल लेकर करीब 400 की संख्या में महिला व पुरुष श्रद्धालु बाबा बरमेश्वर नाथ पहुंचे. ऐसी मान्यता है कि बाबा बरमेश्वर नाथ की स्थापना खुद ब्रह्मा ने की थी. इस मंदिर में जिले के सबसे ज्यादा श्रद्धालु आते हैं. ऐसे में प्रशासन भी चुस्त-दुरुस्त दिखा. सुरक्षा व्यवस्था में लगे एसपी ने बताया कि बाबा ब्रह्मेश्वर नाथ धाम में काफी संख्या में श्रद्धालु आते हैं. ऐसे में दुरुस्त व्यवस्था की गई है. डॉक्टरों की टीम की भी नियुक्ति की गई है, ताकि लोगों को परेशानियों का सामना न करना पड़े.
शिवरात्री को लेकर है ऐसी मान्यता
मालूम हो कि स्कंद पुराण के अनुसार शिवरात्रि वही दिन है, जिस दिन मां पार्वती संग भोलेनाथ का विवाह हुआ था. हिंदी पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह की कृष्ण पक्ष चतुर्दशी के दिन शिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है. मान्यता है कि महाशिवरात्रि के प्रदोषकाल में शंकर-पार्वती का विवाह हुआ था. वहीं, प्रदोष काल में ही महाशिवरात्रि तिथि में सर्व ज्योतिर्लिंगों का प्रादुर्भाव हुआ था.
यह भी पढ़ें -
![IOI](https://cdn.abplive.com/images/IOA-countdown.png)
ट्रेंडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस
![ABP Premium](https://cdn.abplive.com/imagebank/metaverse-mid.png)
![शिवाजी सरकार](https://feeds.abplive.com/onecms/images/author/5635d32963c9cc7c53a3f715fa284487.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=70)