Bihar Diwas 2022: उज़्बेकिस्तान की राजधानी ताशकंद (Tashkent) में 17 से 20 मार्च 2022 तक भारतीय दूतावास (Indian Embassy) ने बिहार दिवस (Bihar Diwas) सेलिब्रेट किया. एक अनूठी पहल के तहत, दूतावास ने बिहार सरकार (Bihar Government) और भारत सरकार (Indian Government) के विदेश मंत्रालय के आर्थिक कूटनीति डिविजन के सहयोग से उज्बेकिस्तान के व्यापारिक हलकों के समक्ष राज्य को प्रस्तुत करने पर ध्यान केंद्रित किया. कार्यक्रम के दौरान सांस्कृतिक समृद्धि और बिहार के इतिहास पर भी प्रकाश डाला गया. गौरतलब है कि इस कार्यक्रम में उज़्बेक व्यवसायी, पत्रकार, शिक्षाविद और भारतीय प्रवासी और व्यवसायी शामिल हुए थे.
कार्यक्रम में उज़्बेकिस्तान के बीच व्यावसायिक संबंध स्थापित करने पर दिया गया जोर
बता दें कि भारत के राजदूत मनीष प्रभात ने कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे अतिथियों का स्वागत किया और दर्शकों को बिहार राज्य का परिचय दिया. उज़्बेकिस्तान के संसद सदस्य मुख्तार उमारोव, जो उज़्बेकिस्तान के निर्यातक संघ के अध्यक्ष भी हैं और प्रमुख उज़्बेक दवा कंपनी, लाहिसम के सीईओ शवकत इस्माइलोविच ने कार्यक्रम को संबोधित किया. इस दौरान उज़्बेकिस्तान के बीच व्यावसायिक संबंध स्थापित करने की जरूरत पर काफी जोर दिया गया. वहीं भारतीय प्रवासी संगठन ताशकंद इंडिया क्लब के अध्यक्ष अशोक तिवारी ने भारत-उज्बेकिस्तान के बढ़ते आर्थिक संबंधों और बिहार के लिए इसमें भूमिका निभाने के अवसरों पर चर्चा की.
बिहार सरकार की निवेश और निर्यात नीतियों पर भी प्रेजेंटेशन दी गई
वहीं दूतावास के अधिकारियों द्वारा बिहार सरकार की निवेश और निर्यात नीतियों, राज्य की संस्कृति और पर्यटन क्षेत्र पर केंद्रित प्रेजेंटेशन दी गईं. यह कहा जा सकता है कि आम और केले जैसे बिहार के कृषि उत्पादों को उज्बेकिस्तान में एक तैयार बाजार मिल सकता है क्योंकि उज्बेकिस्तान सरकार ने भारत से इन वस्तुओं के आयात की अनुमति दी है.
कार्यक्रम के दौरान उज्बेक मेहमानों ने उठाया बिहारी व्यंजनों का लुत्फ
कार्यक्रम के दौरान लाल बहादुर शास्त्री सांस्कृतिक केंद्र, ताशकंद के छात्रों द्वारा बिहार के लोक गीत और नृत्य प्रस्तुत किए गए. 20 मार्च को दूतावास द्वारा आयोजित संयुक्त होली-नवरोज़ समारोह के दौरान बिहार पर स्पेशल फोकस रहा.
वहीं होली के उत्सव के रंगों के साथ, उज़्बेक मेहमानों को लिट्टी चोखा और चूड़ा दही सहित बिहारी व्यंजन भी परोसे गए. गौरतलब है कि उज्बेकिस्तान में बिहार की यह पहली ऐसी केंद्रित प्रस्तुति थी.
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